Bank nationalisation:19 जुलाई, ये तारीख हमारे देश के बैंकिंग सिस्टम के लिए सबसे खास है, आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण (bank nationalisation) कर दिया था. पूर्व प्रधानमंत्री के इस फैसला ने देश के बैंकिंग सिस्टम की तस्वीर बदल दी थी और उस वक्त ज्यादातर लोगों ने इसे सफल प्रयोग बताया था.
दरअसल उस वक्त ज्यादातर बैंकों पर बड़े घरानों का कब्जा था. जब इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने ये फैसला लिया उस वक्त बैंकों में देश का करीब 80 फीसदी रुपया जमा था, लेकिन इसका लाभ अमीरों को ही मिल रहा था.
गरीब जनता बैंकों में जाने से डरती थी. सरकार के पास भी पूंजी की बड़ी समस्या था. ऐसे में इंदिरा गांधी के इस फैसले से देश की जनता को फायदा हुआ और आम लोगों की पहुंच बैंक तक हुई. जिसका असर आज भी दिखता है.
उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जिस बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, उनमें- पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक, यूनाइटेड बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इलाहाबाद बैंक और इंडियन बैंक शामिल थे.
यहां भी क्लिक करें: NDA Meeting: पीएम मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना, बताया एनडीए का मतलब
उस वक्त के सियासी जानकारों का कहना था, कि- भारत सरकार के पास पूंजी की समस्या थी, क्योंकि संसाधन सीमित थे. इसीलिए इंदिरा गांधी को ये बड़ा फैसला लेना पड़ा था, जिसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री ‘बैंकिंग कम्पनीज आर्डिनेंस’ लेकर आईं और रातों-रातों 14 बैंकों की कमान सरकार के कब्जे में आ गई. बाद में 1980 में भी 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया.
इस फैसले के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि- 'इंदिरा का कहना था कि बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाना जरूरी है। निजी बैंक देश के सामाजिक विकास में अपनी भागीदारी नहीं निभा रहे हैं। इसलिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण जरूरी है.'