ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय (King Charles III) के राज्याभिषेक के बाद कोहिनूर से सुसज्जित महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताज कैमिला हालांकि नहीं पहनेंगी, लेकिन ये उन्हें ही मिलनेवाला है. इसमें जड़े बेशकीमती हीरे जवाहारात के कारण इसकी कीमत का अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इसकी कीमत करीब 591 मिलियन डॉलर है. प्लैटिनम और कोहिनूर हीरे से जड़ा यह ताज 1937 में किंग जॉर्ज की ताजपोशी के लिए बनाया गया था.
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कोहिनूर की कहानी भी काफी दिलचस्प है. कोहिनूर एक फ़ारसी शब्द है जिसका मतलब होता है 'प्रकाश का पर्वत'. भारत में ये पहली बार 14वीं शताब्दी के आसपास पाया गया था. हीरे की उत्पत्ति कहां से हुई इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि हीरे की उत्पत्ति मध्य-पूर्वी भारत में कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित कोल्लूर खदान से हुई थी. साल 1849 में जब ब्रिटिश उपनिवेश पंजाब में आया तो इसे अंतिम सिख शासक दलीप सिंह ने महारानी को भेंट किया था. इसके बाद यह कोहिनूर हीरा ब्रिटेन में ही है. पंजाब के शासक महाराणा रणजीत सिंह के पास ये हीरा अफगानिस्तान के अमीर शाह शुजा दुर्रानी ने माध्यम से पहुंचा था, हालांकि शाह शुजा ने अपने ऑटोबायोग्राफी में लिखा है कि मजबूरी में उन्होने रणजीत सिंह को कोहिनूर सौंपा था. इससे पहले ये हीरा अफगानी आक्रमणकारी शासक अहमद शाह अब्दाली ने फारस के राजा नादिर शाह से छीना था और नादिर शाह ने मुगल किंग मुहम्मद शाह रंगीला से हासिल किया यानी कई राजवंशों और सामार्ज्यों से होता हुआ ये हीरा 19वीं शताब्दी में महारानी विक्टोरिया को गिफ्ट किया. यही वजह है कि कोहिनूर पर भारत के साथ-साथ पाकिस्तान भी अपना दावा करता है. 8 सितंबर 2022 को ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद भारत के गौरव कोहिनूर को वापस लाने की मांग की जा रही है.