हिंदुस्तान में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के केस सामने आने के बाद लोगों की चिंता बढ़ गई है. इस बीच मंकीपॉक्स (Monkeypox) के पहले मरीज के इलाज का हिस्सा रही स्किन स्पेशलिस्ट डॉ. ऋचा चौधरी (Dr. Richa Chaudhary) से एडिटर जी ने खास बातचीत की.
इस दौरान डॉ. ऋचा चौधरी ने बताया कि उनके पास मंकीपॉक्स का पहला मरीज तब आया जब उसे फीवर के साथ स्किन पर छोटे दाने बने थे. दो तीन दिन तक इलाज करने के बाद जब मरीज ठीक नहीं हुआ और पॉक्स बढ़ने लगा तब उन्हें मरीज के मंकीपॉक्स का शक हुआ. हालांकि मंकीपॉक्स के डायग्नोसिस की सुविधा सिर्फ LNJP हॉस्पिटल में मौजूद है इसलिए उसे वहां भर्ती करवाया गया. जहां उसका इलाज किया जा रहा है.
डॉ. ऋचा ने आगे बताया कि मंकीपॉक्स एक जूनोटिक वायरस जो जानवरों से इंसानों में आया और फिलहाल ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांमिट हो रहा है. उन्होंने बताया कि यह संक्रमित बॉडी के संपर्क में आने या सलाइवा के जरिए ट्रांसफर होता है.
डॉ. ऋचा ने बताया की मंकीपॉक्स का पहला लक्षण फीवर और बॉडी पर स्माल पॉक्स का निकलना है. अगर दो से तीन दिनों तक फीवर लगातार रहे और पॉक्स का आकार बढ़ने लगे तो यह मंकीपॉक्स हो सकता है.
ऐसे में कोरोना की तरह इस बीमारी में भी मरीज के साथ संपर्क में आने से बचें और अगर आपके घर में कोई मंकीपॉक्स मिलता है तो उसके जख्म को ढ़ककर रखें. इसके साथ मॉस्क और दस्तानों का इस्तमाल करें. ऐसा नहीं करने पर आप भी मंकीपॉक्स से संक्रमित हो सकते हैं.
Monkeypox : होमोसेक्स और अनसेफ सेक्स से भी फैल रहा है मंकीपॉक्स ! जानिए क्या है सच्चाई ?
कोरोना के सामने आई बीमारी मंकीपॉक्स को लेकर डॉ. ऋचा चौधरी का कहना है कि यह कोविड-19 से काफी अलग है. जहां कोरोना में एयरबर्न का खतरा अधिक था. हालांकि मंकीपॉक्स में ऐसा कुछ नहीं है. गौरतलब है कि कोरोना के बाद यह दूसरा मामला है जब ऐसी किसी बीमारी ने दस्तक दी है जिसे लेकर दुनियाभर में चर्चा तेज हो चुकी है. वहीं, डब्लूएचओ ने भी मंकीपॉक्स पर एडवाइजरी जारी की है.
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