देश में स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है. 15 अगस्त 1947 ये वो दिन है जब हमें आजादी मिली. हमें आजादी आधी रात के समय मिली थी. आखिर क्यों 15 अगस्त 1947 को ही आज़ादी के रूप में चुना गया था, आइए जानते है इसके पीछे की कहानी. फरवरी 1947 को अंग्रेज़ों ने लॉर्ड माउंटबेटन को अंतिम वायसराय के तौर पर भारत भेज दिया था, लॉर्ड माउंटबेटन महारानी विक्टोरिया के परनाती थे और दूसरे विश्वयुद्ध में उनकी वीरता और प्रबंधन के कई किस्से चर्चा में थे, इसीलिए ब्रिटिश हुकूमत को उनसे उम्मीदें भी बहुत थी, उनको भारत भेजने के वक़्त ये कह दिया गया था कि वे भारतीयों को जून 1948 तक सत्ता सौंप दें पर माउंटबेटन उपजते हालत के मद्देनज़र ये जानते थे कि भारत पर लम्बा नियंत्राण संभव नहीं है.लार्ड माउण्टबेटन की जिंदगी में 15 अगस्त का दिन बहुत ही खास था। दरअसल 15 अगस्त, 1945 के दिन द्वितीय विश्र्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश के सामने जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था. इसलिए उन्होंने तारीख तय कर ली थी 15 अगस्त 1947 में ही यह तय किया गया था.
3 जून के प्लान में जब स्वतंत्रता का दिन तय किया गया उसे सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया तब देश भर के ज्योतिषियों में में आक्रोश पैदा हुआ क्योंकि ज्योतिषीय गणना के अनुसार 15 अगस्त 1947 का दिन अशुभ और अमंगलकारी था. विकल्प के तौर पर दूसरी तिथियां भी सुझाई गईं लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर ही अड़े रहे, ये उनके लिए खास तारीख थी. आखिरी समस्या का हल निकालते हुए ज्योतिषियों ने बीच का रास्ता निकाला. फिर 14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि का समय सुझाया और इसके पीछे अंग्रेजी समय का ही हवाला दिया गया. अंग्रेजी परंपरा में रात 12 बजे के बाद नया दिन शुरू होता है. वहीं हिंदी गणना के अनुसार नए दिन का आरंभ सूर्योदय के साथ होता है. ज्योतिषी इस बात पर अड़े रहे कि सत्ता के परिवर्तन का संभाषण 48 मिनट की अवधि में संपन्न किया जाए हो जो कि अभिजीत मुहूर्त में आता है. ये मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 15 मिनट तक पूरे 24 मिनट तक की अवधि का था. ये भाषण 12 बजकर 39 मिनट तक दिया जाना था. इस तय समय सीमा में ही जवाहरलाल नेहरू को भाषण देना था. ये स्थिति सबको स्वीकार थी और इसी के अनुरूप तैयारियां शुरू हो गयी. और इसीलिए इसी दिन भारत को आज़ादी मिली.