Independence Day: भारत-पाकिस्तान बंटवारे में हवाई जहाजों ने कैसे निभाई थी अहम भूमिका ?

Updated : Aug 14, 2023 16:55
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Prashant Sharma

Independence Day: 1947 में जब भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) का बंटवारा (Partition of India) हुआ तो हर तरफ तबाही का मंजर था. बंटवारे में लाखों लोग भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत की तरफ आ रहे थे. इस दौरान हिंसा की आग ने जैसे सरहद के दोनों तरफ लोगों को जला रखा था. लाखों की संख्या में शरणार्थी थे. ऐसे में उन्हें सुरक्षित निकालने में रॉयल इंडियन एयर फोर्स (RIAF) के हवाई जहाजों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

भारतीय इतिहासकार आशिक अहमद इकबाल ने अपनी किताब, 'द एयरप्लेन एंड द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया' में लिखा है कि- भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्र प्रभुत्वों में विभाजन के दौरान हवाई जहाज ने एक छोटी लेकिन अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.'

इकबाल का कहना है कि हवाई जहाजों (Aeroplanes role in Partition) की तैनाती से ना सिर्फ भीड़ तितर-बितर हुई, बल्कि गांवों को अपनी सुरक्षा तैयार करने का मौका भी मिल गया. इतिहासकार के मुताबिक, बंटवारे में करीब 12 मिलियन लोग अपनी घर छोड़ने पर मजबूर हुए. वो या तो ट्रेन, गाड़ियों से चले या फिर हजारों लोग पैदल ही निकल पड़े. इकबाल के मुताबिक इस दौरान 12 मिलियन लोग विस्थापित हुए और करीब 10 लाख लोग बंटवारे में मारे गए थे.

इतिहासकार आशिक अहमद इकबाल के मुताबिक, जह लाखों शरणार्थी सरहद को पार कर अपने-अपने नए ठिकानों पर जा रहे थे, तो हवाई जहाज ट्रेनों के ऊपर से उड़कर लोगों की निगरानी कर रहे थे और ऐसी जगहों का पता लगाकर तुरंत उन्हें रोक रहे थे, जो लोग भीड़ में घुसकर हिंसा फैलाना चाहते थे. 

हवाई जहाजों ने लोगों की सुरक्षा तो की ही, राहत शिविरों में रह रहे लोगों तक मदद भी पहुंचाई. आरआईएएफ (RIAF) विमानों ने, जिनमें से ज्यादातर भरोसेमंद डकोटा हवाई जहाज थे, गंदे शरणार्थी शिविरों में महामारी को रोकने में मदद करने के लिए दिल्ली से कराची तक हैजा के टीकों की 15 लाख खुराकें पहुंचाई थीं. इस दौरान हवाई जहाजों की मदद से लोगों को खाना भी पहुंचाया गया था. 

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इतिहासकार अहमद इकबाल बताते हैं कि जैसे ही लोगों को ले जाने के लिए विमान खुलते, तो लोगों की भीड़ दौड़ पड़ती. 21 यात्रियों को ले जाने के लिए बने डकोटा डीसी-3 (Dakota DC-3) विमानों में अक्सर इससे पांच गुना ज्यादा यात्री सवार होते थे. 

21 ब्रिटिश ओवरसीज़ एयरवेज़ कॉरपोरेशन (BOAC) जेट विमानों ने 6,300 लोगों को दिल्ली से कराची ले जाने के लिए 15 दिनों तक "बिना रुके" उड़ान भरी। वे दिल्ली हवाई अड्डों पर फंसे मुस्लिम शरणार्थियों के लिए 45,000 किलोग्राम भोजन, तंबू और टीके भी ले गए थे. 

ब्रिटिश नागरिकों को निकालने के लिए तैनात किए गए दो रॉयल एयर फ़ोर्स परिवहन विमानों का उपयोग भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 12,000 लोगों को निकालने के लिए भी किया गया था. 21 विमान - मुख्य रूप से 8 ब्रिटिश कंपनियों से किराए पर लिए गए 'डकोटा' ने 35,000 लोगों और 1.5 मिलियन पाउंड से अधिक सामान को भारत और पाकिस्तान के बीच पहुंचाया.

इतिहासकार आशिक अहमद इकबाल ने बताया कि- शर्णार्थियों का सरहद पार करना करीब 3 महीनों तक, सितंबर 1947 से लेकर नवंबर 1947 तक लगा रहा. 

Independence Day 2023

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