भारत और कनाडा के बीच इस समय तनाव चरम पर है. दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं. बता दें कि दशकों से कई मुद्दों, खासकर खालिस्तान जैसे मामलों पर दोनों देशों के बीच मतभेद रहा है, लेकिन कनाडाई सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्याकांड में भारत सरकार का कनेक्शन होने की आशंका जताते हुए आरोप लगाया है.
बता दें कि कनाडा से खालिस्तानी मुद्दे को लेकर तनाव के तार कुछ 38 बरस पुराने हैं. दोनों देशों के बीच दरार 1948 में ही दिखाई देने लगी थी, जब कनाडा ने कश्मीर में जनमत संग्रह का समर्थन किया था. साल 1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद ओटावा ने भारत में अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया.
1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो ने तलविंदर सिंह परमार के वापसी से इनकार कर दिया, क्योंकि उस पर पंजाब में दो पुलिस अधिकारियों की हत्या का आरोप लगा था. इसके बाद परमार के नेतृत्व वाले संगठन बब्बर खालसा ने जून 1985 में एयर इंडिया कनिष्क पर बमबारी की साजिश रची. इसमें 268 कनाडाई नागरिकों सहित 331 नागरिकों की मौत हो गई. यह कनाडा से जुड़ी सबसे भीषण हवाई आपदा थी. कनाडा प्रशासन की जांच में सुराग मिले कि ये गतिविधियां ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में खालिस्तानी समर्थकों ने की थीं.
साल 2017 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन से अलगाववादियों के साथ उनके कथित संबंध का आरोप लगाते हुए मिलने से इनकार कर दिया था.
दोनों देशों के बीच संबंध तब बेहतर होते दिखे, जब कनाडाई सरकार ने 2018 में अपनी वार्षिक 'कनाडा में आतंकवादी खतरे पर सार्वजनिक रिपोर्ट' जारी की. रिपोर्ट में 'सिख चरमपंथ' और खालिस्तान का उल्लेख किया गया था. हालांकि, एक साल बाद रिपोर्ट को संशोधित किया गया और खालिस्तान और सिख उग्रवाद के सभी उल्लेख हटा दिए गए.
कनाडाई अधिकारियों का कहना है कि अलगाववादी आंदोलन महत्वहीन है और प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित खालिस्तान जनमत संग्रह कानून की सीमा के भीतर है.
दोनों देशों के बीच संबंध तब और निचले स्तर पर पहुंच गए, जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया है. हालांकि भारत ने आरोपों को निराधार बताया है.