G20 Summit: भारत के लिए जी20 शिखर सम्मेलन कई मायनों में खास रहा. एक तरफ जहां भारत संयुक्त बयान जारी कराने में कामयाब रहा, तो वहीं दूसरी तरफ भारत ने पूरी दुनिया को खास अंदाज में अपनी संस्कृति से रूबरू कराया. पीएम मोदी ने समिट के दौरान जब-जब विदेशी मेहमानों का स्वागत किया. तब-तब बैकड्रॉप के जरिए भारत की संस्कृति और इतिहास से दुनिया को रूबरू कराया.
पीएम मोदी जब जी-20 शिखर सम्मेलन के मेहमानों का भारत मंडपम में स्वागत कर रहे थे. तब बैकग्राउंड में कोणार्क चक्र लगाया गया था. बता दें कि बैकग्राउंड में बना 13वीं शताब्दी में कोणार्क चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, सभ्यता और वास्तुशिल्प की श्रेष्ठता का प्रतीक है. कोणार्क चक्र का घूमना समय, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. यह लोकतंत्र के पहिए के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में भी काम करता है. जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
इतनी ही नहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जब विदेशी मेहमानों को भारत मंडपम में डिनर दिया. तो विदेशी मेहमानों का स्वागत करते वक्त बैकग्राउंड में नालंदा विश्व विद्यालय का चित्र था. प्रधानमंत्री मोदी G20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय का महत्व बताते हुए भी दिखे. बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की प्रगति को दर्शाता है.
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वहीं, जब समिट के दूसरे दिन सभी विदेशी मेहमान राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर नमन करने पहुंचे, तो उस वक्त साबरमती बैकड्रॉप सुर्खियों में रहा. पीएम ने इसी के सामने खड़े होकर विदेशी मेहमानों का स्वागत किया और उन्हें खादी का स्टॉल उपहार में दिया. इस दौरान उन्होंने साबरमती आश्रम के बारे में बताकर मेहमानों को बापू की कहानी सुनाई. महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की कुटी से भारत को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी. जिसे भारत की आजादी की नीव रखी.