देश की जनता महंगाई से जूझ रही है. इस बीच केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों ने भी इसपर मुहर लगा दी है. पिछले महीने देश की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail inflation) में रिकॉर्ड बढ़त दर्ज की गई. यह 7.79 फीसदी पर पहुंच गई, जो 8 साल में सबसे ऊंचा स्तर है.
यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2 फीसदी से 6 फीसदी के कंफर्ट जोन से काफी ऊपर है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई इस साल मार्च में 6.95 फीसदी और अप्रैल 2021 में 4.23 प्रतिशत थी. यह लगातार छठा महीना है जब भारत के कन्ज्यूमर प्राइस इंडैक्स में बढ़ोतरी हुई है.
पिछले महीने रिजर्व बैंक की अचानक Monetary Policy Committee (एमपीसी) की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि दुनिया के मौजूदा हालात के की वजह से खाने की चीजों की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी का बुरा असर घरेलू बाजार में भी दिखाई दे रहा है, और आगे मुद्रास्फीति का दबाव जारी रहने की संभावना है.
दिनभर की खबरों के लिए यहां क्लिक करें
क्या होता है खुदरा मुद्रास्फीति?
खुदरा मुद्रास्फीति उसे कहते है जब एक निश्चित अवधि में वस्तुओं या सेवाओं की कीमत बढ़ने की वजह से करेंसी की कीमत में गिरावट दर्ज़ की जाती है तो उसे मुद्रास्फीति कहते हैं. मुद्रास्फीति को जब प्रतिशत में व्यक्त करते हैं तो यह महंगाई दर या खुदरा मुद्रास्फीति दर कहलाती है. आसान शब्दों में कहें तो यह कीमतों में उतार-चढ़ाव की रफ्तार को दर्शाती है. यह बढ़ती क्यों है इसका मतलब यह है कि खान-पान वाली चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति दर में बढ़ोतरी देखी जाती हैं.
ये भी पढ़ें: Gyanvapi Masjid News: ज्ञानवापी मस्जिद का दोबारा सर्वे होगा, कोर्ट कमिश्नर बने रहेंगे