India ने चीन-पाक के संयुक्त बयान में जम्मू-कश्मीर के संदर्भों को दृढ़ता से खारिज किया

Updated : Jun 13, 2024 22:54
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Editorji News Desk

भारत ने चीन और पाकिस्तान के नवीनतम संयुक्त बयान में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के ‘‘अनुचित’’ संदर्भों को बृहस्पतिवार को दृढ़ता से खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 'भारत के अभिन्न अंग रहे हैं, और हमेशा रहेंगे'.पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के बीच वार्ता के बाद गत सात जून को बीजिंग में संयुक्त बयान जारी किया गया.

भारत ने संयुक्त बयान में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का भी उल्लेख किये जाने की आलोचना की और कहा कि नयी दिल्ली भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आघात करने वाले इन क्षेत्रों पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को मजबूत करने या वैध बनाने के लिए किसी भी कदम का दृढ़ता से विरोध करता है.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने सात जून को चीन और पाकिस्तान के संयुक्त बयान में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के अनुचित संदर्भों को देखा है.हम ऐसे संदर्भों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं.'

उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर हमारी स्थिति सुसंगत है और संबंधित पक्षों को अच्छी तरह से पता है.केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं, हैं और हमेशा रहेंगे.'
जायसवाल संयुक्त बयान पर मीडिया के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। जायसवाल ने कहा, ‘‘किसी अन्य देश को इस पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है.’’

चीन-पाकिस्तान संयुक्त बयान में कहा गया है कि पाकिस्तानी पक्ष ने चीनी पक्ष को जम्मू-कश्मीर के नवीनतम घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी.इसमें कहा गया है कि चीनी पक्ष ने दोहराया कि 'जम्मू-कश्मीर विवाद ऐतिहासक रूप से बरकरार है, और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार उचित और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए'.

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इसी संयुक्त बयान में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत गतिविधियों और परियोजनाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें से कुछ भारत के संप्रभु क्षेत्र में हैं जिनपर पाकिस्तान द्वारा जबरन और अवैध कब्जा किया गया है.’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘हम इन क्षेत्रों पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को मजबूत करने या वैध बनाने के लिए अन्य देशों द्वारा उठाए गए किसी भी कदम का दृढ़ता से विरोध करते हैं और खारिज करते हैं जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आघात करने वाले हैं.’’

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