माओवादियों से कथित संबंधों के केस में नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जीएन साईबाबा ने कहा, "आश्चर्य है कि जेल में 'बर्बर जीवन' से जूझते हुए भी वे जेल से जिंदा बाहर निकल आए." जेल से निकलने के बाद साईबाबा ने नागपुर में ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिस दौरान उन्होंने कहा, "दूसरों की मदद के बिना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकते." वो बोले कि, "उन्हें जेल में इसलिए डाला गया क्योंकि वो कई वर्षों से दलितों, शोषितों, वंचितों और आदिवासियों के लिए काम कर रहे थे."
माओवादियों से कथित संबंध के मामले में बंबई हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को गुरुवार को नागपुर जेल से रिहा कर दिया गया था. अदालत ने साईबाबा को मंगलवार को बरी किया था. जी. एन. साईबाबा को कथित माओवादी संबंध मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद साईबाबा 2017 से जेल में बंद थे. इससे पहले, वह 2014 से 2016 तक इस जेल में थे और बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी.
शारीरिक अक्षमता के कारण व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले साईबाबा ने जेल से बाहर आने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा स्वास्थ्य बहुत खराब है। मैं बात नहीं कर सकता। मुझे पहले इलाज कराना होगा और उसके बाद ही मैं बात कर पाऊंगा.’’जेल के बाहर उनके एक परिजन इंतजार कर रहे थे. बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने साईबाबा की सजा को रद्द करते हुए मंगलवार को कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा.
G N Saibaba Released: डीयू के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा नागपुर जेल से रिहा, ये था मामला