जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अगले साल मार्च के बाद विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने के कयास लगाए जा रहे हैं. इसको लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. इन सबके बीच जम्मू की उपायुक्त की ओर से नए वोटरों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है. जिसमें जम्मू में एक साल से ज्यादा वक्त से रहने वाले लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने को कहा गया है. यानी एक साल से अधिक समय तक जम्मू में रहने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति को वोटिंग का अधिकार मिल जाएगा. इस आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर की सियासत में भूचाल आ गया है.
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उपायुक्त अवनी लवासा (Deputy Commissioner Avani Lavasa) की ओर जारी लेटर में उन कागजातों की लिस्ट भी जारी की गई है, जो वहां एक साल या उससे अधिक समय से रह रहे लोगों के वोटर बनने के लिए जरूरी है. वोटर बनने के लिए पानी, गैस और बिजली के बिल, आधार कार्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक, डाकघर और सूचीबद्ध बैंक के पासबुक, भारतीय पासपोर्ट, जमीन के मालिकाना साबित करने वाले राजस्व विभाग के दस्तावेज, किराएदार होने की सूरत में रजिस्टर्ड रेंट और लीज एग्रीमेंट और घर का मालिक होने की स्थिति में रजिस्टर्ड लीज डीड पेश किया जा सकता है.
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माना जा रहा है कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से आए शरणार्थी (Refugees from Pakistani) पहली बार वोट डाल पाएंगे. लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) ने इस फैसले का विरोध किया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मोदी सरकार पर जम्मू-कश्मीर की वोटर लिस्ट में 25 लाख नए वोटरों को जोड़ने की कवायद करने का आरोप लगाया है.