Jodhpur: बालमुकुंद बिस्सा थे कौन, जिनकी मूर्ति पर झंडा लगाने पर भड़की हिंसा

Updated : May 03, 2022 22:10
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Deepak Singh Svaroci

राजस्थान के जोधपुर में जिस स्वतंत्रता सेनानी की मूर्ति पर धार्मिक झंडा लगाने को लेकर विवाद हुआ, उनका नाम बालमुकुंद बिस्सा ( Balmukund Bissa ) है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कौन थे. नागौर में डीडवाना के पीलवा गांव में जन्में बालमुकुंद बिस्सा ( Balmukund Bissa ) एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका जन्म 24 दिसंबर 1908 को हुआ था. बिस्सा का संबंध पुष्करणा ब्राह्मण समाज से था. उनके पिता, कोलकाता में व्यापार करते थे. लिहाजा पूरा परिवार वहीं पर रहता है. बालमुकुंद बिस्सा की पढ़ाई भी कोलकाता में ही हुई थी. साल 1934 में वे कोलकाता से जोधपुर लौटे, और यहीं पर व्यापार करना शुरू कर दिया.

बालमुकुंद बिस्सा महात्मा गांधी के विचारों ( Mahatma Gandhi Thoughts ) से काफी प्रभावित थे. साल 1934 में उन्होंने चरखा एजेंसी और खादी भंडार की स्थापना की थी. बिस्सा की "जवाहर खादी" नाम की दुकान आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों के मिलने और रणनीति बनाने का ठिकाना बन गई थी.

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1942 में मारवाड़ में जयनारायण व्यास के नेतृत्व में जन आंदोलन चल रहा था. बालमुकुंद बिस्सा ने इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. तब देश में आजादी की लड़ाई आखिरी मोड़ पर थी. अंग्रेज सरकार ने बढ़ते आंदोलन को दबाने के लिए 9 जून 1942 को 'भारत रक्षा कानून' के तहत बालमुकुंद बिस्सा को जेल में डाल दिया. वे लंबे समय तक जोधपुर की जेल में बंद रहे. इस दौरान उन्होंने कैदियों को मिलने वाले खराब भोजन के खिलाफ जेल में ही गांधीवादी तरीके से भूख हड़ताल शुरू कर दी थी.

बिस्सा को जून के महीने में गिरफ्तार किया गया था. भीषण गर्मी और भूख हड़ताल की वजह से उनका स्वास्थ्य गिरने लगा. बाद में उनकी तबीयत बहुत बिगड़ गई. इलाज़ के लिए उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और मात्र 34 साल की उम्र में ही 1942 में उनका निधन हो गया था.

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जोधपुर में ईद पर क्यों भड़की हिंसा || How Violence Started in Jodhpur?

जोधपुर में 3 दिवसीय परशुराम उत्सव चल रहा है. जालोरी गेट इलाके में बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा है. यहां चौराहे और आसपास के क्षेत्र में ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवा ध्वज लगा दिए थे, जबकि ईद के मौके पर यहां मुस्लिम समुदाय अपने ध्वज लगाता आया है. सोमवार को इसी पर विवाद बढ़ा तो पुलिस ने बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा पर तिरंगा लगा दिया लेकिन देर रात समुदाय विशेष ने इसपर अपने धर्म का ध्वज लगा दिया. यहीं से बवाल की शुरुआत हुई और चौराहे पर खड़ी कई गाड़ियों के कांच फोड़ दिए गए. पुलिस ने मामले को शांत करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, साथ ही जालौरी गेट की तरफ जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए हैं.

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