भू-धंसाव के संकट का सामना कर रहे जोशीमठ (Joshimath) में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में दरारें आ गई हैं. बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट बंद होने के बाद शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजमान रहती है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नृसिंह मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और मंदिर परिसर में आ रही दरारों का भी निरीक्षण किया.
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इस समय हम सबके सामने सबसे पुराने ज्योतिर्मठ को प्राकृतिक आपदा से बचाने की बड़ी चुनौती है. सीएम ने आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की, सीएसआईआर, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की से जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के कारणों का अध्ययन एवं उपचार के समयबद्ध रिपोर्ट देने का अनुरोध किया. घरों में पड़ रहीं दरारों और जगह-जगह पानी के रिसने से दहशत में बने परिवारों के बीच पहुंचकर सीएम ने उन्हें ढांढस बंधाया.
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उन्होंने बुजुर्गों को सुना,बच्चों से बात कीं। प्रभावितों को गले लगाकर आश्वस्त किया कि उनके जानमाल की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इस दौरान भावुक भी हुए। उन्होंने मनोहरबाग,सिंहद्वार,गांधीनगर,नरसिंह मंदिर का स्थलीय निरीक्षण किया.