Today in History, 8th June 2022: देश को आजाद हुए एक साल से भी कम वक्त गुजरा था...तभी जून के महीने में मुंबई के टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर एक विज्ञापन छपा जिसने सभी का ध्यान खींचा- उसमें लिखा था- काहिरा और जेनेवा होते हुए लंदन तक उड़िए ( Air India First Flight Advertisement ) मेरे साथ वो भी सिर्फ 1,720 रुपए में...
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इस विज्ञापन ने तहलका मचा दिया...क्योंकि पहली बार कोई भारतीय विमान यात्रियों को लेकर मुल्क की सीमाओं के पार उड़ान भरने वाला था...तमाम राजा-महाराजा और रईसों में टिकट लेने की होड़ मच गई...देश की पहली इंटरनेशनल फ्लाइट महज कुछ घंटों में हाउस फुल हो गई...वो फ्लाइट थी एयर इंडिया की और तारीख था 8 जून 1948...यानी आज ही का दिन....झरोखा के एपिसोड में आज हम इसी ऐतिहासिक उड़ान के वाक्ये में झांकने की कोशिश करेंगे.
मुंबई में 8 जून 1948 की उस शाम एक लिमोजिन कार तेजी से हवाई अड्डे की ओर रवाना हो रही थी...उसमें सवार थे सौराष्ट्र के राजप्रमुख जाम साहिब और उनके परिवार के लोग...यूरोप घूमने जा रहे जाम साहिब का बच्चा उत्सुकतावश पूछ रहा था- विमान कब उड़ेगा...उसके पायलट कौन होंगे...मतलब तमाम वो सवाल जिसके जवाब खुद जाम साहिब भी जानना चाह रहे थे...बहरहाल जब जाम साहिब हवाई अड्डे पर पहुंचे तो वहां मुल्क की कई बड़ी हस्तियां भी मौजूद थीं...मसलन- महाराजा श्री दलीपसिंह, नवाब अमीर अली खान, मिस्टर एंड मिसेज केके मोदी, लेफ्टिनेंट कर्नल डब्ल्यू ग्रे, धुनजीभाई नोशीर, एन.के. पटेल, एच.बी. मैल्कम और आरआर नोबल जैसे लोग...इसमें कोई क्रिकेट मैच खेलने जा रहा था तो कोई ओलंपिक खेलों में भाग लेने...पत्रकारों और फोटाग्राफरों की भीड़ अलग से मौजूद थी ही...हर कोई इस ऐतिहासक पल का गवाह बनना चाहता था...
बहरहाल घड़ी की सुईयों ने जैसे ही 11.15 मिनट बजाईं.... 40 सीटों के लाकहीड एल-749 विमान ने उड़ान भर दी...इस विमान का नाम था मालाबार प्रिंसेज ( Malabar Princess air india )...8 जून को मुंबई से उड़ा ये विमान 10 जून को सूर्योदय से पहले लंदन की धरती पर उतरा...मतलब इसे लंदन तक का सफर तय करने में 24 घंटे से कुछ ज्यादा का वक्त लगा...आज यही दूरी तय करने में हमें 10 घंटे का वक्त लगता है...इस विमान में 35 यात्री सवार थे...जिसमें 29 लंदन जा रहे थे तो छह जिनेवा में ही उतर गए थे. विमान को लंदन पहुंचने में 24 घंटे का वक्त इसलिए लगा क्योंकि तब के विमान नॉन स्टॉप 4,800 किमी ही उड़ सकता था. लिहाजा ईंधन भरने के लिए जेनेवा और काहिरा में रूकना मजबूरी भी थी...
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ये भारत की पहली उड़ान थी लिहाजा तैयारियों भी अभूतपूर्व हुई थीं...एयर इंडिया की ओर से काहिरा और जिनेवा में दफ्तर खोले गए थे...काहिरा कार्यालय को एफ नरीमन ने तो जिनेवा स्थित कार्यालय को जी बर्टोली ने संभाला...लंदन में दफ्तर खोजने में एयर इंडिया को थोड़ी परेशानी हुई...वहां दो दफ्तर बनाए गए..एक बुकिंग दफ्तर और दूसरा प्रशासनिक दफ्तर...एयर इंडिया को इन तीनों जगहों पर अपना दफ्तर बनाने में कई महीने लगे थे.
आपको बता दे...ये उड़ान इसलिए भी अहम थी क्योंकि साल 1948 में दुनिया में कुछ ही देश ऐसे थे जो इंटरनेशनल फ्लाइट का संचालन करते थे..भारत ने 8 जून की उस रात एक बेहतरीन मील का पत्थर हासिल कर लिया था...
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