पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में 17 जून की सुबह भीषण रेल हादसा हुआ. एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी. हादसे में 8 लोगों की मौत हुई, जबकि 50 लोग घायल हुए. लेकिन इस हादसे को रोका जा सकता था. अब सवाल आता है कि इस हादसे में 'कवच' सिस्टम ने काम क्यों नहीं किया. बता दें कि 'कवच' सिस्टम बालासोर और बंगाल रेल हादसे जैसी दुर्घटनाएं रोक सकता है. तो चलिये आपको ट्रेन एक्सीडेंट को रोकने वाले खास सेफ्टी सिस्टम 'कवच' के बारे में बताते हैं कि यह क्या है और कैसे काम करता है?
Kavach सिस्टम एक स्वदेशी एंटी प्रोटेक्शन सिस्टम (APS) है. इसे खासतौर पर रेल हादसे रोकने के लिए तैयार किया गया है, जिससे जान-माल का नुकसान न हो सके. सबसे अच्छी बात ये है कि Kavach प्रणाली इमरजेंसी हालात में खुद-ब-खुद ट्रेन को रोक सकती है, यानी ब्रेक लगा सकती है. किसी भी कारणवश जब ट्रेन का ड्राइवर समय पर ब्रैक नहीं लगा पाता है, तक ये सिस्टम तुरंत एक्टिव हो जाता है. इस सिस्टम पर रेलवे ने 2012 में काम शुरू किया था. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. सिस्टम का पहला ट्रायल साल 2016 में शुरू हुआ था.
आपको बता दें कि Kavach सिस्टम में कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज और सेंसर शामिल होते हैं. इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस को ट्रेन, रेलवे ट्रैक, रेलवे सिग्नल और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. अब यह सिस्टम दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है.
कई बार ड्राइवर की भूलवश या किसी तकनीकी खराबी के कारण कोई ट्रेन रेड सिग्नल क्रॉस कर जाती है. ऐसे में कवच सिस्टम एक्टिव होकर ट्रेन में ऑटेमैटिक ब्रेक्स को रिलीज करता है, जिससे ट्रेन की रफ्तार बेहद कम हो जाती है. इसके बाद कोई बड़ा हादसा होने से टल जाता है. वहीं, अगर कोई ट्रेन तय रफ्तार से तेज चल रही होती है, तब भी यह सिस्टम एक्टिव हो जाता है. यह सिस्टम लगातार ट्रेन की मूमेंट को ट्रैक करता है और आगे सिग्नल शेयर करता है.
मौसम खराब होने की स्थिति में भी यह सिस्टम बेहद मददगार साबित होता है. यह सिग्नल सिस्टम की मदद से लोको-पायलट की ट्रेन को ऑपरेट करने में भी मदद करता है.
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