Kerala: केरल हाई कोर्ट ने एक समलैंगिक व्यक्ति के लिव-इन-पार्टनर के शव को अस्पताल से वापस अपने पास लाने की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि मृत व्यक्ति का भी उसके शव पर अधिकार है, इसलिए इससे निपटना चाहिए. कोर्ट ने अस्पताल को ईमेल के जरिए एक नोटिस भेजा है. साथ ही लावारिश शवों के लिए प्रोटोकॉल के संबंध में सरकार से भी स्पष्टीकरण मांगा है.
बता दें कि केरल में 4 फरवरी को फ्लैट से गिरने से कारण मनु की मौत हुई. मनु के परिवार ने मनु का शव लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद ना ही पोस्टमार्टम हुआ, ना ही जांच. मनु के लिव-इन-पार्टनर जुबिन को शव ले जाने भी नहीं दिया गया. इसके बाद जुबिन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
जेबिन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मनु के शव पर दावा करने की इजाजत मांगी. 6 फरवरी को उच्च न्यायालय ने याचिका की समीक्षा की. जिसके बाद निजी अस्पताल को ईमेल के माध्यम से एक नोटिस भेजा गया.
उच्च न्यायालय ने लावारिस शवों के लिए प्रोटोकॉल के संबंध में सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा. प्रोटोकॉल के अनुसार, जब जैविक परिवार के सदस्य या कानूनी उत्तराधिकारी किसी शव पर दावा करने में विफल रहते हैं, तो इसे चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया जाता है.
बता दें कि कोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि मृतक के परिजन भी कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. उनसे पूछताछ होगी, मामले की जांच भी तक तक पूरा हो सकेगा.
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