121 Tribal Innocent In Burkapal Case: छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के बुर्कापाल में CRPF के 25 जवानों को शहीद करने के आरोप में गिरफ्तार 121 स्थानीय आदिवासियों को कोर्ट ने रिहा कर दिया है. इस रिहाई में आदिवासियों के 5 साल गुजर गए. जब ये बाहर आए तो इनका दर्द छलक उठा.
दंतेवाड़ा जिले की NIA कोर्ट ने आरोप साबित नहीं होने पर अब 121 आदिवासियों को इस केस में जेल से रिहा कर दिया है. जगदलपुर केन्द्रीय जेल में बंद इन आदिवासियों में से 110 लोग जब एक साथ जेल से बाहर आये तो जीवन 5 साल आगे जा चुका था. सलाखों के पीछे रहने के दौरान कई आदिवासियों ने हिन्दी सीखी. अधिकांश की उम्र अब 25 से 35 साल के बीच है. इनमें से कई की गिरफ्तारी उस वक्त हुई जब उनकी नई -नई शादी हुई थी. इनका कहना है कि ये कभी भी घात लगाकर हमला करने वाले स्थान पर नहीं गए थे लेकिन पुलिस उन्हें उठा कर ले गयी. आदिवासियों की सुरक्षित रिहाई में लगीं वकील बेला भाटिया ने पुलिस पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होने कहा कि उनके जीवन के 5 साल ऐसे अपराध के लिए ले लिए गए जो उन लोगों ने किया ही नहीं. पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए उन्होने कहा कि सबूत के बगैर पुलिस ने इनलोगों को कैसे उठाया था? अब इसकी जांच होनी चाहिए .
छत्तीसगढ का नक्सल प्रभावित सुकमा जिला, जहां पुलिस और नक्सलियों के बीच भिड़ंत आम बात है. 24 अप्रैल 2017 को नक्सलियों ने सुकमा जिले के बुर्कापाल में हमला कर CRPF के 25 जवानों को मौत के घाट उतार दिया था. घटना को लेकर देशभर में हुए बवाल के बाद अगले कुछ दिनों में, छत्तीसगढ़ पुलिस ने चिंतागुफा पुलिस स्टेशन में छह गांवों- बुरकापाल, गोंडापल्ली, चिंतागुफा, तलमेटला, कोराइगुंडम और तोंगुडा के कुल 120 आदिवासियों के खिलाफ मामला दर्ज किया. बाद में गिरफ्तार किए गए लोगों में एक महिला आरोपी के साथ कुल संख्या 121 हो गई .ये सभी स्थानीय आदिवासी थे जिन्हें अब रिहा किया गया है.
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