RIP Lata Mangeshkar: भारत रत्न लता मंगेशकर के अनसुने किस्से

Updated : Feb 06, 2022 17:31
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Editorji News Desk

पूरे देश के लिए रविवार की सुबह एक ऐसी दुख भरी खबर लेकर आई जिसे शायद ही कोई भारतीय कभी भी सुनना चाहेगा. जी हां...सरस्वती पूजा के अगले दिन ‘सुरों की सरस्वती’ लता दीदी का निधन हो गया. 36 भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गानों को अपनी मखमली आवाज में पिरो कर पेश कर चुकीं लता एक जीवित किदवंती थीं...

आइए जानते हैं भारत रत्न लदा दीदी के जीवन के कुछ अनसुने किस्से..

लता का पहला नाम हेमा था

इंदौर में एक मराठी परिवार में जन्मीं लता मंगेशकर का शुरू में नाम हेमा था. पांच साल की उम्र में नाम बदलकर लता हुआ.

जहर देकर मारने की कोशिश हुई थी!

साल 1963 में फिल्म ‘20 साल बाद’ के लिए लता जी को एक गाना रिकॉर्ड करना था. इसी की पहले उनकी तबियत खराब हो गई. जांच में पता चला कि उन्हें धीमा जहर दिया गया था. तब लता 3 महीने तक बिस्तर पर पड़ी रहीं थीं.

डूंगरपुर के महाराजा से था खास रिश्ता!

रिपोर्ट्स के मुताबिक डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह से लता मंगेशकर बेहद प्यार करती थीं. राज लता को प्यार से मिट्ठू पुकारते थे. दोनों आजीवन अविवाहित ही रहे.

सिर्फ दो दिन स्कूल गई थीं लता!

लता की शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई थी. पिता ने संगीत की पहली शिक्षा दी और अलग-अलग भाषाएं सिखाईं. 16 दिसंबर 1941 को पहली बार स्टूडियो में माइक के सामने गाना रिकॉर्ड किया था.

गुलाम हैदर थे लता के गॉड फादर

गुलाम हैदर ने लता को फिल्मों में पहला ब्रेक दिया था. लता खुद कहती थीं कि गुलाम साहब मुझे म्यूजिक इंटस्ट्री में ले आए. बाद में गुलाम हैदर पाकिस्तान चले गए...तब भी दोनों आपस में बात करते थे.

द्विअर्थी शब्दों के गाने नहीं गाती थीं

लता अपने उसूलों की भी पक्की थीं. वे द्विअर्थी शब्दों वाले गीत नहीं गाती थीं. इसी वजह से कई राइटर्स को अपने गानों के शब्द भी बदलने पड़े थे.

‘सुर साम्राज्ञी’ की दौलत कितनी थी

महज 25 रुपये की पहली फीस पाने वाली लता करीब 370 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालकिन थीं. उन्हें अपने गाए गानों से हर महीने बतौर रॉयल्टी 40 लाख और सालाना 6 करोड़ रुपये मिलते थे.

जीवन में सिर्फ एक विज्ञापन ही किया

तमाम सेलेब्रेटीज विज्ञापनों से करोड़ों की कमाई करते हैं. लता दीदी ने साल 1991 में सिर्फ एक कफ सीरफ का विज्ञापन किया था.

खुद रो पड़ी थीं ...’ऐ मेरे वतन’ के लोगों पर!

कवि प्रदीप ने जब लता को ऐ मेरे वतन के लोगों... गाने के लिए कहा तो लता ने उन्हें मना कर दिया लेकिन जब खुद प्रदीप ने उसे गा कर सुनाया तो खुद लता भी रो पड़ीं और उस गीत को गाने के लिए राजी हो गईं.

BCCI के लिए फ्री में किया कन्सर्ट

1983 का वन-डे क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने के बाद BCCI ने कन्सर्ट का आयोजन किया तो क्रिकेट की शौकीन लता दीदी ने कोई फीस नहीं ली. तब BCCI ने फैसला लिया कि लता जब तक जीवित रहेंगी भारत के प्रत्येक स्टेडियम में उनके लिए एक सीट रजर्व रहेगी.

ये भी पढ़ें: Lata Mangeshkar Passes Away: पहली बार सिगरेट के फॉइल पर लिखा गया था 'ए मेरे वतन के लोगों'

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