Lata Didi Village : पुर्तगाली मिशनरी से जब धर्म पड़ा खतरे में, तब इस गांव पहुंचे थे लता दीदी के पूर्वज!

Updated : Feb 06, 2022 17:04
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Editorji News Desk

किसी भी शख्स की जब बात होती है, तो उसकी एक पहचान उसके गांव, यानी उसकी जड़ों से भी होती है. लता ( Lata Mangeshkar ) दीदी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी जड़ों की जब जब बात होगी, तो केंद्र में उनका गांव मंगेशी भी होगा. मंगेशी, गोवा ( Mangeshi Village in Goa ) में स्थित है और यही लता दीदी का पैतृक गांव भी है.

मंगेशी गांव की लोकेशन - मंगेशी गांव, गोवा के Ponda में Priol में स्थित है. यह प्राकृतिक वातावरण से घिरा हुआ है. पणजी-पोंडा रोड पर स्थित ये गांव गोवा आने वाले टूरिस्टों की पसंद के तौर पर भी उभरा है.

मंदिर का इतिहास - मंगेशी गांव, मंगेशी मंदिर के लिए मशहूर है. हालांकि इस मंदिर की वास्तविक जड़ कुशस्थली या कोर्टालिम में है, जो कि Salcette तालुका में आता है. गौढ़ सारस्वत ब्राह्मणों वाला कुशस्थली सदियों पहले पुर्तगाली शासन के अधीन था. पुर्तगाली मिशनरियों का प्रभाव बढ़ने लगा तब ये लोग देवताओं की मूर्ति और आस्था को बचाने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश करने लगे.

इसी कोशिश में, इन्होंने Zuari नदी को पार कर एक ऐसी जगह की तलाश की, जो पुर्तगाली शासन से बाहर थी. मंगेश भगवान को शिव का ही एक रूप कहा जाता है. समुदाय ने मंगेश में बसने के बाद, कुछ दिन मंगेश देवता की मूर्ति को अपने घर में ही रखा. इसके बाद, मूर्ति को मौजूदा जगह स्थापित किया गया.

Ponda का यह क्षेत्र 16वीं सदी में पुर्तगाली शासन के अधीन नहीं था. यही वजह है कि यह हिंदुओं की शरणस्थली बना.

मंगेशकर परिवार

लता दीदी का परिवार मंगेशी से ही है. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ( Deenanath Mangeshkar ) का जन्म 1900 में इसी गांव में हुआ था. हालांकि, तब यह पुर्तगाली शासन में था. वह मंदिर के ही पुजारी परिवार के घर जन्मे थे. लता दीदी की मां कोंकणी थीं. मां का संबंध गोमांतक मराठा समुदाय से था.

वास्तविक जड़ कुशस्थली में

1543 में पुर्तगालियों के अधीन आने पर मोरमुगाओ तालुका में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की गतिविधि शुरू हो गई थी. इसके बाद स्थानीय लोग मौजूदा मंगेशी गांव पहुंचे थे. मंदिर को दो बार मराठों के शासनकाल के दौरान और फिर साल 1890 में पुनर्निर्मित किया गया. 1973 में, सबसे ऊंचे गुंबद के ऊपर एक स्वर्ण कलश लगाया गया. पेशवाओं ने अपने प्रमुख, श्री रामचंद्र मल्हार सुख्तांकर के सुझाव पर 1739 में मंगेशी गांव को मंदिर को दान किया. श्री रामचंद्र, भगवान मंगेश के अनुयायी थे.

इसके निर्माण के कुछ ही वर्षों बाद, यह क्षेत्र भी 1763 में पुर्तगाली शासन में आ गया, लेकिन तब, पुर्तगाली अन्य धर्मों के प्रति काफी सहिष्णु हो चुके थे, और इसलिए यह संरचना सुरक्षित रही.

देखें- Lata Mangeshkar Death: महान गायिका लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन
 

Lata Mangeshkar DeathmumbaiGoaLata Mangeshkar

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