Ayush admission scam: उत्तर प्रदेश का आयुष एडमिशन घोटाला मामला तूल पकड़ता जा रहा है. कम मेरिट के बावजूद एक या एक सौ नहीं बल्कि करीब 900 छात्रों के एडमिशन को लेकर हुई धांधली में सीबीआई जांच की सिफारिश हुई है. यूपी सरकार ने इस फर्जीवाड़े की जांच CBI से कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है.
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ये पूरा मामला NEET 2021 की परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें खूब धांधली की गई और 891 ऐसे छात्रों को यूपी के आयुर्वेदिक होम्योपैथिक और यूनानी कॉलेज में एडमिशन दिया गया. जिनमें से कईयों का नाम मेरिट में था ही नहीं, और कईयों का नंबर बेहद कम होने के बावजूद उन्हें अच्छे कॉलेजों में एडमिशन मिल गया.
बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा गड़बड़ी आयुर्वेदिक कॉलेज में हुए एडमिशन में सामने आई. पैसा लेकर अपात्र छात्रों को एडमिशन देने के इस मामले में आयुर्वेद होम्योपैथी और यूनानी निदेशालय के अफसर और कर्मचारी जांच के दायरे में हैं. आरोप है कि कि सीटों की बड़े स्तर पर सौदेबाजी हुई, पांच-पांच लाख रुपये में सीटें बेच दी गईं. इस मामले में डायरेक्टर आयुर्वेद एसएन सिंह ने हजरतगंज कोतवाली में काउंसलिंग कराने वाली नोडल एजेंसी UPTRON पावर्ट्रॉनिक्स पर एफआईआर दर्ज करवाई थी. जिसके बाद एसटीएफ को जांच सौंपी गई.
पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब रैंक मिलने के बावजूद कई छात्रों को एडमिशन नहीं मिला. तो उन छात्रों आवाज उठाई, आयुष मंत्रालय से लेकर राष्ट्रपति भवन तक इस मामले की शिकायत की. फिर मामले ने तूल पकड़ा, राज्य सरकार हरकत में आई, एसटीएफ जांच के आदेश के बाद अब CBI जांच की सिफारिश की गई है.