PFI Banned by Centre: भारत सरकार ने 28 सितंबर को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front Of India) पर एक्शन लेते हुए उसे अगले पांच सालों के लिए बैन कर दिया गया है. इन सबके बीच कई सवाल आपके मन में आ रहे होंगे कि आखिर पीएफआई पर बैन सरकार ने क्यों लगाया?, आइए हम आपको तफ्तीश से बताते हैं.
दरअसल, बीते दिनों हुईं तमाम छापेमारी और गिरफ्तारियों के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पीएफआई पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. एक अधिसूचना में सरकार ने बताया कि पीएफआई (PFI) का अधिकांश शीर्ष नेतृत्व पहले से प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का हिस्सा था. इसमें कहा गया है कि पीएफआई के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) से भी संबंध हैं. जेएमबी और सिमी दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं. अधिसूचना में कहा गया कि पीएफआई के ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों के भी कई मामले सामने आए हैं.
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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बैन किए जाने का सबसे बड़ा कारण है, उसका देश के संविधान (Constitution Of India) को नहीं मानना. केंद्र सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना में कहा, "पीएफआई और उसके सहयोगी मोर्चे देश में आतंक का शासन बनाने के इरादे से हिंसक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जिससे राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा है. इसी के साथ यह राज्य के संवैधानिक अधिकार और संप्रभुता की अवहेलना करते हैं और इसलिए संगठन के खिलाफ तत्काल और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है."
गृह मंत्रालय के मुताबिक, पीएफआई और इसके संगठन हिंसक कार्यों में शामिल रहे हैं. जिनमें कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले लोगों की निर्मम हत्या करना, बम धमाके की साजिश रचना और सावर्जनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है.
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