बिहार में शराबबंदी से जुड़े मामले में नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. बुधवार को सर्वोच्च अदालत ने बिहार में शराबंदी के केस में आरोपियों की जमानत को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि बिहार के इस कानून ने अदालतों पर बहुत बोझ डाला है. पटना हाईकोर्ट में 10–15 जज रोजाना ऐसी याचिकाएं सुन रहे हैं.
दरअसल सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील मनीष कुमार ने कहा था कि हाईकोर्ट शराबंदी कानून के गंभीर उल्लंघन में शामिल आरोपियों को जमानतें दे रहा है, इन्हें रद्द किया जाना चाहिए. बिहार सरकार की इस दलील पर CJI ने पूछा कि तो क्या ये जमानतें न दी जाएं ? क्योंकि आपने कानून बना दिया है, जिसमें शराब के साथ पकड़े जाने पर 10 साल या उम्रकैद की सजा है.
बता दें कि बिहार पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर तक बिहार में शराबबंदी कानून के तहत 3,48,170 मामले दर्ज किए गए और 4,01,855 गिरफ्तारियां की गईं. ऐसे मामलों में लगभग 20,000 जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट या जिला अदालतों में लंबित हैं.