यूपी में BSP सरकार के दौरान लिये गए बेरोजगारों के पैसे अब योगी सरकार लौटाएगी.दरअसल बीएसपी सरकार के दौरान पहली बार नवंबर 2011 में आईटी मेरिट पर 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे. इस भर्ती में गड़बड़ी को लेकर 2012 में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी कर ली गई थी, इसके बाद सत्ता में आई एसपी ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते हुए आईटी की जांच कराई. दरअसल 2012 में 72825 ट्रेनी टीचर की भर्ती के लिए दोबारा प्रदेश भर में आवेदन करने वाले बेरोजगारों से आवेदन शुक्ल के रूप में 290 करोड़ वापस करने के लिए ये प्रक्रिया अपनाई जा रही है. ये आवेदन बीएसपी सरकार में पहली बार नवंबर 2011 में आईटी मेरिट पर 72हजार से ज्यादा प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती करने के दौरान अप्लीकेशन फॉर्म के लिए लिए थे. लेकिन भर्ती में गड़बड़ी की बात सामने आई और 2012 में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को गिरफ्तार कर लिया गया.
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एसपी सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते हुए मामले की जांच कराई और आईटी की मेरिट की जगह एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्ती करने का फैसला लिया. इसके लिए 5 दिसंबर 2012 में आवेदन मांगे गए थे.इसके लिए अभ्यर्थियों को 500-500 रुपए की फीस देनी पड़ी थी और जिन अभ्यर्थियों ने सभी 75 जिलों का विकल्प भरा था उन्हें 37500 फीस जमा करनी पड़ी थी.
इसके बाद एकेडमिक रिकॉर्ड का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2011 में पहली बार आईटी मेरिट के आधार पर दिए गए आवेदनों को ही मान्यता दी. अब डायट के माध्यम से दोबारा आवेदन करने वालों की फीस वापस करने की तैयारी है.अब जो पत्र जारी किया गया है उसके मुताबिक अभ्यर्थियों की तरफ से शुल्क वापसी के लिए उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों का मिलान एक्सल डाटा से होने के बाद 16 दिसंबर 2018 से 22 दिसंबर 2018 तक फीस वापसी के लिए मिले वैध आवेदन पत्रों के आधार पर अंतिम सूची तैयार की जाएगी. ये सूची परिषद कार्यालय को उपलब्ध कराई जाएगी जिससे पता लग सके कि जनपद में शुल्क वापसी के लिए कितनी धनराशि की जरूरत है.