बिहार (Bihar) के सरकारी स्कूल-कॉलेजों के खस्ताहाल होने की खबरें हमेशा ही सामने आती रहती हैं. कभी शिक्षकों की कमी की बात, तो कभी स्कूल-कॉलेजों में मूलभूत आवश्कताओं की कमी... राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर अक्सर ही सवाल गहराते रहते हैं. हालांकि, अब एक शिक्षक ने कुछ ऐसा किया है जिसने सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश को एक प्रेरणा देने का काम किया है.
इस असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपने कार्यकाल में एक भी छात्र को नहीं पढ़ाने की वजह से अपनी पूरी सैलरी ही लौटा दी और ऐसा करके उन्होंने एक नजीर पेश की. यह पूरा मामला बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर कॉलेज, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर का है.
दरअसल, बिहार के अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबंधित नीतीश्वर कॉलेज (Nitishwar Singh College) में हिंदी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ ललन कुमार ने कक्षा में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति लगातार शून्य रहने पर अपनी 2 साल और 9 महीने की पूरी सैलरी 23 लाख 82 हज़ार 228 रुपये एकमुश्त लौटा दी. डॉ ललन कुमार ने मंगलवार को इतनी राशि का चेक विश्वविद्यालय के कुलपति के सचिव डॉ आरके ठाकुर को सौंप दिया.
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रिपोर्ट के मुताबिक कुलसचिव ने पहले चेक लेने से इनकार कर दिया, लेकिन डॉ ललन कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे और चेक स्वीकार नहीं करने पर नौकरी तक छोड़ देने की बात कर दी. आखिरकार कुलपति के सचिव को असिस्टेंट प्रोफेसर की जिद के आगे झुकना पड़ा और उन्होंने चेक स्वीकार कर लिया.
कौन हैं ललन कुमार ?
मूल रूप से वैशाली ज़िले के निवासी डॉ ललन कुमार सामान्य किसान परिवार से आते हैं. इंटर की पढ़ाई बिहार से पूरी करने के बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन, जवाहर लाल विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की. गोल्ड मेडल से सम्मानित डॉ ललन कुमार को अकैडमिक एक्सिलेंस प्रेसिडेंट सम्मान भी मिल चुका है. डॉ ललन कुमार की विश्वविद्यालय में नियुक्ति 24 सितंबर, 2019 को हुई थी.
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