Bilkis Bano: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई को लेकर गुजरात सरकार को खरी-खरी सुनाई है.
अदालत ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार (Gujarat govt) से कई कड़े सवाल पूछे. जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने पूछा कि जब दोषियों की मौत की सज़ा को पहले ही आजीवन कारावास में बदला जा चुका था तो उन्हें सिर्फ 14 साल बाद कैसे रिहा किया जा सकता है?
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात सरकार से यह भी पूछा कि बिलकिस बानो के दोषियों जैसी राहत अन्य कैदियों को नहीं दी गई? अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि दोषियों को रिहाई की राहत देते समय “सेलेक्टिव रवैया” नहीं अपनाना चाहिए और सभी कैदियों को सुधार के साथ समाज की मुख्यधारा में वापस लाने की कोशिश करनी चाहिए.
अदालत ने बिलकिस बानो के दोषियों को रिहाई देने के लिए बनाई गई जेल एजवाइडरी कमिटी पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि यह पैनल किस आधार पर बनाया गया? अदालत ने गुजरात सरकार से इस बारे में पूरी जानकारी मुहैया कराने को कहा.
बिलकिस बानो के साथ साल 2002 में गुजरात दंगों (Gujarat riots) के दौरान सामूहिक बलात्कार (gangrape) किया गया था और उनके परिजनों की हत्या कर दी गई थी. गुजरात सरकार ने इस मामले में सभी 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई कर दी थी.
रिहाई के बाद दोषियों का फूल-माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया था, जिसकी काफी आलोचना भी हुई थी.