दिल्ली (Delhi) के मुंडका (Mundka) में एक इमारत में भीषण आग लगने के एक दिन बाद बदहवास रिश्तेदार अब भी अपने प्रियजनों की तलाश कर रहे हैं. पुलिस ने कहा है कि 29 लोगों का पता नहीं चल पाया है. इस घटना में 27 लोगों की मौत हो गई है. जिन लोगों का अब तक पता नहीं चल पाया है, उनके परिजन शुक्रवार की रात संजय गांधी अस्पताल में उनके बारे में जानकारी लेने के लिए उमड़ पड़े. उनमें से एक, अजीत तिवारी ने कहा कि उनकी बहन मोनिका (21) ने एक महीने पहले ही कंपनी के लिए काम करना शुरू किया था.
उन्होंने कहा, ‘‘उसे गुरुवार को अपना पहला वेतन मिला. हमें शाम 5 बजे आग के बारे में पता चला, लेकिन यह नहीं पता था कि आग उसके कार्यालय की इमारत में लगी थी. जब वह शाम सात बजे तक घर नहीं लौटी, तो हमने उसकी तलाश शुरू कर दी. ’’ मोनिका अपने दो भाइयों और एक बहन के साथ दिल्ली के आगर नगर में रहती है. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की रहने वाली है.
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एक अन्य महिला को अपनी बड़ी बेटी की तलाश करते हुए देखा गया, जो सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में भी काम करती है. महिला ने कहा, ‘‘मेरी बेटी पूजा पिछले तीन महीनों से सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में काम कर रही है. हम मुबारकपुर में रहते हैं और रात नौ बजे घटना के बारे में पता चला. उसकी बाईं आंख के नीचे एक कट का निशान है. हम उसकी विभिन्न अस्पतालों में तलाश कर रहे हैं. वह चार सदस्यीय हमारे परिवार की अकेली कमाने वाली है. उसकी दो छोटी बहनें हैं जो स्कूल में पढ़ती हैं. ’’
अस्पताल के बाहर खड़े लुधियाना निवासी अमन कुमार अपनी मंगेतर के बारे में बात करते हुए रो पड़े. उनकी मंगेतर भी दिल्ली के मुंडका में भीषण अग्निकांड में जान गंवाने वालों में से एक थी.
इमारत के एक कार्यालय में काम करने वाले अंकित ने कहा कि आग लगने के समय दूसरी मंजिल पर एक प्रेरक सत्र चल रहा था. उसने कहा, ‘‘मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैं जीवित हूं. मेरी भी जान जा सकती थी. इमारत की दूसरी मंजिल पर एक प्रेरक सत्र चल रहा था तभी हमें आग का पता चला. हमने खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए और किसी तरह भागने में सफल रहे. ’’
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