पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर ED ने छापेमारी में करोड़ों रुपये कैश और गहने बरामद हुए हैं. ऐसे में आपके दिमाग में यह सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि ED जब्त किए गए इतने सारे रुपयों और प्रॉपर्टी का करती क्या है. तो चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं. कि जब्त किए गए रुपये और गहने जाते कहां हैं ?
ED क्यों कर लेती है संपत्ति जब्त
ED को PMLA 2002 (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट ) के तहत संपत्ति जब्त करने का अधिकार मिलता है. छापे में कई चीजें बरामद हो सकती हैं. जिसमें भारी भरकम कैश, सोना-चांदी, दस्तावेज और अन्य कीमती सामान शामिल होते हैं. जिन्हें ED जब्त करके केस चलने तक अपने पास रखती है या उसे सरकारी खजाने में जमा करा देती है.
जब्त कैश का क्या होता है ?
जब्त किए गए कैश का पंचनामा बनाया जाता है. और ED इन रुपयों को केंद्र सरकार के बैंक खाते में जमा करा देती है. वहीं ऐसे नोट जिनमें कोई निशान मिलता है तो उन्हें जब्त कर कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जाता है.
जब्त प्रॉपर्टी का क्या होता है ?
ED प्रॉपर्टी को अटैच करके उस पर बोर्ड लगाकर उसकी खरीद-बिक्री पर रोक लगा देती है. वहीं कई मामलों में जैसे जब्त COMMERCIAL प्रॉपर्टी में इस्तेमाल की छूट मिल सकती है. कोर्ट में जब्ती साबित होने पर वो प्रॉपर्टी सरकारी हो जाती है. ED को 6 महीने के भीतर प्रॉपर्टी की जब्ती साबित करनी होती है.
जब्त गहनों का क्या होता है ?
जब्त सोना, चांदी, गहनों का पंचनामा बनाया जाता है. पंचनामा में जब्त गहनों की पूरी जानकारी होती है. जब्त सोने-चांदी को सरकारी भंडारगृह में जमा किया जाता है. और कोर्ट में जब्ती साबित होने पर इसपर सरकार का नियंत्रण हो जाता है.
जब्त संपत्ति पर कोर्ट करता है आखिरी फैसला
ED जो संपत्ति जब्त करती है उस पर आखिरी फैसला कोर्ट करता है. मुकदमा शुरू होने पर जब्त किए गए सामान को सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जाता है. और अगर ED यह साबित कर देती है कि जब्त की गई प्रॉपर्टी अवैध है. तो उसे सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है और अगर ED जब्ती साबित नहीं कर पाती है तो संबंधित व्यक्ति को संपत्ति लौटा दी जाती है.