Flood in Yamuna: दिल्ली में आई बाढ़ या अपनी जगह में फैल रही है यमुना, जानें मुख्य कारण

Updated : Jul 13, 2023 19:17
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Editorji News Desk

Flood in Yamuna:  यमुना का जलस्तर 45 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिल्ली में रौद्र रूप धारण कर चुका है. आसपास बसे इलाके जलमग्न हो चुके हैं और पानी सड़कों पर चढ़ गया है. जिसकी वजह से यातायात सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. यह हर साल होता है. सरकार की तरफ से राहत कैंप लगाए जाते हैं तो विपक्ष सरकार को कोसता है. लेकिन इसके असल वजह को जानने की कोशिश कोई नहीं करता है और न ही समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए जाते हैं.

यह बात भी सच है कि यमुना सफाई के नाम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए. लेकिन दिल्ली की 22 किलोमीटर यमुना मैली ही होती चली गई. नतीजा, यमुना में गाद जमा  होने से उसकी गहराई कम हो गई और जब बरसात के मौसम में बारिश होने या हरियाणा के हथिना कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने पर यमुना का पानी फैलकर आवासीय इलाकों में प्रवेश कर जाता है.

आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि जिन इलाकों को हम आज यमुना से बाढ़ प्रभावित बता रहे हैं, वे सभी यमुना की पेटी में बसे अवैध इलाके हैं. जिन्हें वोट बैंक की राजनीति ने बसने की छूट दी और यमुना (yamuna river) सीमटती चली गई. शहरी जल निकायों का अनियंत्रित भराव भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है. जल निकासी के उचित उपाय नहीं किए गए हैं.

पूरे शहर में अवैध कॉलोनियों की भरमार हो गई है,  जिसके कारण प्राकृतिक जल निकासी का सिस्टम गड़बड़ा गया है. यह शहर की भलाई के लिए भी गंभीर खतरा है और शहरी बाढ़ को भी खुला न्यौता देता है.

यमुना में वर्षों से गाद है जमा

यमुना नदी दिल्ली के अंदर 22 किलोमीटर लंबी है. इतनी ही दूसरी में 20 से ज्यादा पुल बहाव को बाधित करते हैं, जिससे नदी के तल में गाद जमा हो जाती है और रेतीले चट्टानों का निर्माण हो जाता है. गाद जमने के कारण नदी का तल उंचा हो गया है. जिसकी वजह से हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने पर पहले की तुलना में पानी दिल्ली में जल्दी पहुंच जाता है.

यमुना की पेटी में बसी हैं कालोनियां

दिल्ली के अंदर बसी अवैध कालोनियां यमुना की पेटी में भी बसी हुई हैं. जिसकी वजह से यमुना सीमटती जा रही है. लेकिन बरसात के समय में जब यमुना फैलती है तो इन कालोनियों में पानी भर जाता और बाढ़ की स्थिति बन जाती है. इनमें गीता कालोनी, ओखला, वजीराबाद, पल्ला बेल्ट, जैतपुर एक्सटेंशन, सोनिया विहार और राजीव नगर जैसी कालोनियां शामिल हैं.

करीब 960 हेक्टेयर में अवैध निर्माण

यमुना किनारे धड़ाधड़ अवैध निर्माण से नई-नई कॉलोनियां आकार लेती रही हैं. एनजीटी ने कभी यमुना किनारे खेती तक पर प्रतिबंध लगाया हुआ था, वहां अब खेती के साथ अवैध पक्के निर्माण तक धड़ल्ले से होते रहे हैं. दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी (delhi devlopment authority) ने 2020 में एनजीटी(ngt) को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसके मुताबिक यमुना के फ्लडप्लेन में करीब 960 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण हो रखी थी. यहां तक कि सरकार भी यमुना के आंचल में निर्माण से नहीं हिचकी. यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन, कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज, मिलेनियम पार्क बस डिपो इसके जीते-जागते सबूत हैं. इन सबका निर्माण 'O' जोन में ही हुआ है.

यमुना सफाई पर करोड़ो खर्च, नतीजा कुछ नहीं

दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए हजारों करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुका है लेकिन उसकी तस्वीर नहीं बदली. सुप्रीम कोर्ट 1994 से यमुना में प्रदूषण को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी कर रहा है. तब से शुरुआती 21 सालों में ही यमुना की सफाई के नाम पर यूपी ने 2052 करोड़ रुपये, दिल्ली ने 2,387 करोड़ रुपये और हरियाणा ने 549 करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन यमुना साफ नहीं हुई.

दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए 2017 से 2021 के दौरान 5 वर्षों में ही 8,856.91 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यमुना का प्रदूषण घटने के बजाय बढ़ गया.  35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से सिर्फ 9 ही मानक के तहत काम कर रहे थे.

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