शिक्षा (Education) का कोई धर्म (Religion) नहीं होता है. लेकिन देश के कुछ राज्यों के मुस्लिम (Muslim) बहुल इलाकों में सरकारी स्कूल नियम-कायदे से नहीं, बल्कि मजहबी आधार पर चल रहे हैं. इन स्कूलों में रविवार (Sunday) के दिन पढ़ाई होती है. तो शुक्रवार (Friday) यानी जुमे के दिन साप्ताहिक छुट्टी (Weekly Off). इस व्यवस्था को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसकी शुरुआत झारखंड (Jharkhand) से हुई. जहां के करीब 100 स्कूलों में रविवार के बदले शुक्रवार को छुट्टी दी जाने लगी.
बिहार (Bihar) के कुछ इलाकों से भी इस तरह की खबरें सामने आई. जिसके बाद ये मामला तूल पकड़ने लगा और सियासी दलों के नेताओं के बीच बयानबाजी तेज हो गई. अब इसकी चिंगारी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) तक पहुंच गई है. जहां के कुछ हिंदू संगठनों ने प्रदेश के स्कूलों में मंगलवार (Tuesday) को छुट्टी दिए जाने की मांग शुरू कर दी है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर स्कूलों में रविवार के बदले शुक्रवार को छुट्टी देने की शुरुआत किसके आदेश पर हुई. क्योंकि देश में रविवार को आधिकारिक साप्ताहिक छुट्टी होती है.
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आमतौर पर रविवार आते ही कामकाजी लोग और स्कूली बच्चे खुश हो जाते हैं. इस दिन लोग अपने सारे पेंडिंग कामों को निपटाते हैं. सरकारी दफ्तर में काम करने वाले हों, या प्राइवेट कंपनी में या फिर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे. हर किसी को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. ऐसे में जानने की कोशिश करेंगे कि शुक्रवार को छुट्टी रखने के पीछे वजह क्या है और रविवार को छुट्टी वाला नियम कब-कैसे शुरू हुआ था.
असल में स्कूलों में रविवार की जगह शु्क्रवार को साप्ताहिक छुट्टी देने की शुरुआत झारखंड के जामताड़ा (Jamtara) जिले से हुई. जहां के मुस्लिम बहुल इलाकों में 100 से ज्यादा सरकारी स्कूलों (Government School) में शुक्रवार को छुट्टी दी जाने लगी. यहां के स्कूलों में यह व्यवस्था पिछले एक-डेढ़ साल से चल रही है. बताया जा रहा है कि इन इलाकों की मुस्लिम आबादी लगभग 70% है. खबर तो यहां तक है कि इस तरह की व्यवस्था गोड्डा, दुमका, पलामू और पाकुड़ जिलों के सरकारी स्कूलों में भी कर दी गई. जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक ऐसा मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के दबाव में किया गया.
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इतना ही नहीं दबाव के चलते ग्राम शिक्षा समितियों ने कई स्कूलों के नाम के साथ उर्दू स्कूल (Urdu School) जोड़ दिया. वहीं कुछ स्कूलों में इसके बोर्ड भी लगा दिए गए. तर्क यह दिया गया कि जब स्कूलों में 70% मुस्लिम छात्र पढ़ते हैं, ऐसे में जुमे की नमाज (Juma prayer) के लिए शुक्रवार को ही छुट्टी होनी चाहिए. इतना ही नहीं प्रदेश के कुछ जिलों के मुस्लिम बहुल इलाकों के सरकारी स्कूलों में न सिर्फ छुट्टियों के दिन बदल दिए गए. बल्कि स्कूलों में होने वाले प्रार्थना (Prayer) के तौर-तरीकों में भी बदलाव कर दिया गया.
हैरानी की बात तो यह है कि इन स्कूलों बिना किसी आधिकारिक आदेश के यह सब होता रहा. लेकिन राज्य सरकार (State Government) का शिक्षा विभाग (Education Department) बेखबर बना रहा. हालांकि इसकी जानकारी मिलते ही राज्य सरकार हरकत में आई और जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही कुछ स्कूलों में पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गई है.
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झारखंड के अलावा बिहार के भी कुछ स्कूलों में शुक्रवार को बंद और रविवार को खुलने का मामला सामने आया है. खासकर किशनगंज (Kishanganj) इलाके से जहां जिले के 37 सरकारी स्कूल रविवार को खुलने की बात सामने आई. किशनगंज में मुसलमानों की आबादी करीब 68% है. जिन सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी होने लगी. उन स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 60% बच्चे मुस्लिम हैं.
इसके अलावा अररिया, सुपौल, मधेपुरा जैसे जिलों से भी इस तरह के मामले सामने आए. मीडिया रिपोर्ट्स में शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के हवाले से कहा जा रहा है कि लंबे समय से इस तरह की परंपरा चली आ रही है. लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. अधिकारी के मुताबिक प्रदेश में ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 500 है, जहां शुक्रवार को छुट्टी मिलने लगी. हालांकि स्कूल किसके आदेश पर रविवार को खुले और यह आदेश कब जारी किया गया.
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इसकी जानकारी न तो शिक्षा विभाग के पास थी और न ही किसी अधिकारी के पास. पूरे मामले पर बवाल मचा तो नीतीश सरकार में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Chaudhary) ने जिला शिक्षा अधिकारियों से ऐसे स्कूलों की लिस्ट मांग ली. जहां रविवार के बजाय शुक्रवार को छुट्टी रहती है. साथ ही पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
बिहार और झारखंड के कुछ जिलों के सरकारी स्कूलों में शुक्रवार की छुट्टी को लेकर जारी विवाद उत्तर प्रदेश तक पहुंच गया है. हिंदुवादी संगठनों ने इस व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. साथ ही प्रदेश के स्कूलों में मंगलवार को साप्ताहिक छुट्टी देने की मांग करने लगे हैं. अखिल भारतीय हिंदू महासभा (Akhil Bhartiya Hindu Mahasabha) ने सरकार से प्रदेश के स्कूलों में मंगलवार की छुट्टी देने, 'हिंदू कैलेंडर' (Hindu Calander) के उपयोग करने, स्कूलों में संस्कृत शिक्षा (Sanskrit Education) देने और गुरुकुल (Gurukul) खोलने की मांग की है. इतना ही नहीं हिंदू महासभा ने अपनी इस मांग को लेकर प्रदर्शन करने और प्रशासन को ज्ञापन सौंपेने की बात भी कही है.
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झारखंड और बिहार के कुछ जिलों के मुस्लिम बहुल इलाकों के स्कूलों में शुक्रवार को मिलने वाली छुट्टी को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) ने दोनों प्रदेशों की सरकार से 10 दिनों में रिपोर्ट मांगी है. दोनों राज्यों के मुख्य सचिव (Chief Secretary) को चिट्ठी लिखकर NCPCR ने पूछा है कि आखिर किसके निर्देश के तहत रविवार के बजाय शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित करने का फैसला लिया गया है.
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झारखंड और बिहार के कुछ जिलों के मुस्लिम बहुल इलाकों के सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी की बात सामने आने के बाद सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने इस मुद्दे पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने बिहार के 500 से ज्यादा उर्दू स्कूलों में शुक्रवार की छुट्टी को देश में शरिया कानून (Sharia Law) लागू करने जैसी घटना करार दिया है. इसके अलावा प्रदेश के कई बीजेपी नेताओं ने भी शुक्रवार की छुट्टी का जिक्र करते हुए धर्म को शिक्षा के साथ मिलाने पर सवाल उठाए.
उधर जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) का कहना है कि हम नेताओं को हर छोटी-मोटी बात पर तूफान नहीं खड़ा करना चाहिए. लोगों को ध्यान में रखना चाहिए कि संस्कृत कॉलेज (Sanskrit College) में हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने प्रतिपदा और अष्टमी को छुट्टी होती है. कुछ इसी तरह का सियासी बवाल झारखंड में भी मचा है. जहां बीजेपी ने हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren Government) पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाए हैं.
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रविवार को छुट्टी की परंपरा क्यों और कैसे शुरू हुई. इसको लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन माना जाता है कि भारत में ट्रेड यूनियन मूवमेंट (Trade Union Movement) के जनक कहे जाने वाले नारायण मेघाजी लोखंडे (Narayan Meghaji Lokhande) के चलते रविवार की छुट्टी मिलनी शुरू हुई. ब्रिटिश हुकूमत (British Rule) के दौरान मजदूरों को हफ्ते में सातों दिन काम करना पड़ता था. जबकि सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी मिलती थी.
ऐसे में मेघाजी लोखंडे ने आवाज उठाई और 7 साल के लंबे संघर्ष के बाद अंग्रेज रविवार को साप्ताहिक अवकाश देने पर राजी हुए. फिर 10 जून 1890 को अंग्रेजी हुकूमत ने रविवार के दिन छुट्टी घोषित की. दूसरा तर्क यह भी दिया जाता है कि रविवार को छुट्टी की शुरुआत इसलिए हुई, क्योंकि यह दिन ईसाइयों के लिए गिरिजाघर जाकर प्रार्थना करने का दिन होता है. हालांकि संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इराक, यमन, कुवैत, इजरायल, लीबिया, ओमान, इजिप्ट, सूडान जैसे कई देशों में शुक्रवार को वीकली ऑफ होता है.