उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का गोरखपुर (Gorakhpur) शहर यूं तो कई मामलों में मशहूर है लेकिन इसकी एक पहचान गीताप्रेस ( Gitapress Gorakhpur ) से भी है. गीताप्रेस गोरखपुर ( Gitapress Gorakhpur ) में हर दिन 15 भाषाओं में 70 हजार किताबें छपती हैं. गीताप्रेस के पास 65 करोड़ से ज्यादा धर्मग्रंथ (Scripture) छापने का रिकॉर्ड है. बता दें कि दुनियाभर में गीताप्रेस में छपे धर्मग्रंथ का वितरण किया जाता है. editorji की टीम ने गीताप्रेस का दौरा किया और जाना कि कैसे हर दिन गीताप्रेस 15 भाषाओं में 70 हजार किताबें छाप लेती है.
ये भी पढ़ें: इमरान की पार्टी के नेताओं ने डिप्टी स्पीकर पर बरसाए थप्पड़, फेंके लोटे
इस दौरान यहां अत्याधुनिक मशीनें भी देखने को मिली जिसके जरिए यहां किताबें छापी जाती हैं. गौरतलब है कि गीताप्रेस ( Gitapress Gorakhpur ) की स्थापना साल 1923 में हुई थी. इसके बाद आज तक पूरे विश्वभर में यहां छपी हिन्दू धार्मिक पुस्तकें पढ़ी जाती हैं. करीब 90 साल पहले यानी 1923 में स्थापित गीता प्रेस ( Gitapress Gorakhpur ) द्वारा अब तक 45.45 करोड़ से भी अधिक प्रतियों का प्रकाशन कर चुका है. इनमें 8.10 करोड़ भगवद्गीता और 7.5 करोड़ रामचरितमानस की प्रतियां हैं. गीताप्रेस ( Gitapress Gorakhpur ) में प्रकाशित महिला और बालोपयोगी साहित्य की 10.30 करोड़ प्रतियों की बिक्री हो चुकी है.