समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriages) का मामला सुप्रीम कोर्ट की दर पर है. इस मुद्दे पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. बुधवार को सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार की तरफ से शहरी अभिजात्य अवधारणा बताने की दलीलों पर सवाल खड़े किए. अदालत ने कहा कि सिद्धांत वास्तव में बहुत सरल है कि राज्य किसी व्यक्ति के खिलाफ "विशेषता" के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता, जिस पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं है. समलैंगिकता के अपराध से बाहर होने के बाद ये अधिक प्रचलित हो गया है.
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कोर्ट का कहना है कि यह अधिक शहरी लग सकता है क्योंकि शहरी लोग अधिक खुलकर बाहर आ रहे हैं. लेकिन यह साबित करने के लिए सरकार के पास कोई डेटा नहीं है कि यह शहरी अभिजात्य अवधारणा है.