गुजरात के बोटाद जिले में ज़हरीली शराब (Alcohol) पीने से 28 लोगों की मौत के बाद हड़कंप मच गया है. यह संख्या और भी बढ़ सकती है. जानकारी के मुताबिक लोगों ने 40-40 रुपये के प्लास्टिक के देशी शराब के पाउच खरीद कर पिए थे. जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई और कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं. ऐसे में सवाल उठता है आखिर देशी शराब बनाने में कहां गलती हो जाती है कि यह लोगों की जान ले लेती है.
देशी शराब क्यों बन जाती है ज़हरीली ?
जानकारों की माने तो शराब को ज्यादा नशीली बनाने के चक्कर में यह ज़हरीली होती है. ज्यादातर कच्ची शराब को गुड़ और शीरा से तैयार किया जाता है. और इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्तियों को मिला दिया जाता है ताकि इसका नशा तेज हो जाए. वहीं कच्ची शराब (Liquor) में ऑक्सिटोसिन मिलाने से यह और अधिक ज़हरीली हो जाती है. ऑक्सिटोसिन के बारे में कहा जाता है कि यह नपुंसकता और नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई गंभीर बीमारियां को जन्म दे सकता है.
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कच्ची शराब से कैसे हो जाती है मौत ?
कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन (oxytocin) जैसे केमिकल पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोहल (methyl alcohol) बन जाता है. जो लोगों की मौत का कारण बन जाता है. विज्ञान को जानने वालों की माने तो मिथाइल (methyl) शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज़ हो जाती है और इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं और तुरंत मौत हो जाती है. जिस केमिकल लिक्विड को देसी शराब बताकर बेचा जाता है, वो 95 फ़ीसदी तक विशुद्ध एल्कोहल है यानी बिना मिलावट के इसे एथेनॉल (ethanol) भी कहते हैं और यह गन्ने के रस, महुए का फूल, चावल, जौ जैसे किसी स्टार्च वाली चीज़ का फर्मेन्टेशन (Fermentation)करके तैयार किया जाता है.
ज़हरीला मेथेनॉल बनता है मौत का कारण
बता दें कि सामान्य शराब एथाइल एल्कोहल होती है जबकि ज़हरीली शराब मिथाइल एल्कोहल कहलाती है. कोई भी एल्कोहल शरीर में लीवर के ज़रिए एल्डिहाइड (aldehyde)में बदल जाती है. लेकिन मिथाइल एल्कोहल फॉर्मेल्डाइड (formaldehyde) नामक ज़हर में बदल जाता है. ये ज़हर सबसे ज़्यादा आंखों पर असर करती है. इसीलिए कई बार कच्ची शराब पीने वाले लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है और मौत भी हो जाती है.
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