ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक और नई याचिका दाखिल हुई है. ये याचिका BJP नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini upadhyay) ने सोमवार को दाखिल की. इस याचिका में मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज करने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है. सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है.
यह संपत्ति हमेशा से उनकी रही है. उपाध्याय ने कहा कि किसी भी स्थिति में संपत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता. उन्होंने कहा कि किसी भी मंदिर में एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाए तो उसके कुछ हिस्सों को नष्ट करने या फिर स्वरूप बदलने से उसमें परिवर्तन नहीं आता.
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अश्विनी उपाध्याय ने आगे कहा कि इससे मंदिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता है. ऐसा तभी हो सकता है, जहां मंदिर में स्थापित मूर्तियों को विसर्जन की प्रक्रिया के तहत वहां से शिफ्ट न किया जाए. उन्होंने अपनी याचिका में यह भी दलील दी है कि इस्लामिक सिद्धांतों के मुताबिक भी मन्दिर तोड़कर बनाई गई कोई इमारत मस्जिद नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता.
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