Haridwar Hate Speech: बेहद भड़काऊ, संविधान विरोधी, देश विरोधी, समाज विरोधी, मानवता विरोधी, धर्म विरोधी बयान हरिद्वार में हुए एक कथित धार्मिक सम्मेलन जिसे 'धर्म संसद' का नाम दिया गया उनमें दिए गए. वहां जमा हुए लोगों ने सीधे सीधे मुसलमानों की हत्या करने और म्यांमार की तरह नरसंहार करने की भड़काऊ बयानबाजी की. यही नहीं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के सीने में गोलियां दागने की भी बात कही गई. लेकिन सोमवार को खत्म हुए इस आयोजन के कई दिन बीत जाने के बावजूद अबतक इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
इन बेहद भड़काऊ और आपत्तिजनक बातों के विरोध में पूर्व सेना प्रमुख, कार्यकर्ता और आम लोग उतर आए हैं और ऐसी भड़काऊ बयानबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन की मांग कर रहे हैं. #ArrestHaridwarGenocideMongers के नाम से हैशटैग चलाया जा रहा है. लोग प्रधानमंत्री और देश के गृह मंत्री से पूछ रहे हैं, क्या ऐसे बयान देश विरोधी नहीं? क्या UAPA सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए है?
पूर्व नेवी चीफ अरुण प्रकाश ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है- 'इसे रोका क्यों नहीं जा रहा. हमारे जवानों को क्या दो मोर्चों पर दुश्मन का सामना करना पड़ेगा. क्या हम सांप्रदायिक खून खराबा, घरेलू उथलपुथल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी चाहते हैं.'
इसपर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीवी मलिक ने लिखा- 'सहमत हूं. ऐसे भाषण सार्वजनिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं. कार्रवाई की जरूरत है.'
तृणमूल कांग्रेस नेता और RTI कार्यकर्ता साकेत गोखले ने आयोजकों और वक्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ है. साकेत ने शिकायत में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद, हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी, बीजेपी महिला विंग की लीडर उदिता त्यागी, बीजेपी लीडर अश्विनी उपाध्याय और प्रबोधानंद महाराज समे और लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
काफी शोर मचने पर गुरुवार देर शाम उत्तराखंड पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी यानि वसीम रिजवी पर केस दर्ज किया है. हालांकि कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे यति नरसिंहानंद जो कि अक्सर भड़काऊ बोल बोलते रहते हैं लेकिन उनपर कभी कोई एक्शन नहीं होता.
कमाल की बात ये है किन इनमें से कई लोगों ने न्यूज चैनल एनडीटीवी ने बात की और उन्होंने साफ तौर से कह दिया कि वो अपने बयान पर कायम हैं. इन्होंने देश के संविधान को ही गलत करार दे दिया.
तारुषि अश्विनी लिखती हैं ... ये लोग आतंकवाद के असल चेहरे हैं. जिस तरह से ये साधु लोग खुलेआम नरसंहार के लिए लोगों को उकसा रहे हैं, उससे साफ है कि भाजपा हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा देती है.
सागारिका घोष लिखती हैं- उत्तराखंड पुलिस ने कोई केस कोई एफआईआर नहीं किया, करें भी क्यों जब खुद राज्य का मुख्यमंत्री जहर बोने वाले और नफरत फैलाने वाले इस बाबा से आशीर्वाद ले रहे हों.
मोहम्मद जुबैर लिखते हैं- यहां जमा हुए ये साधु लोग कोई यूं ही ट्रोल नहीं बल्कि बहुत प्रभावशाली हैं, जिनके सत्ता में बैठे लोगों से काफी करीबी है. बोलिए, खुलेआम नरसंहार की बातें करने वालों के खिलाफ बोलिए.
हेमंत राजौरा लिखते हैं- अगर आप ये सब देख कर भी चुप हैं तो आप भी इनमें से एक हैं. आपने इन नफरतियों को अपनी हामी दे दी है.
तो सैयद यूसुफ लिखते हैं - यहां दो भारत है, अल्पसंख्यकों पर बिना बात के UAPA लगा दिया जाता है लेकिन खुलेआम नरसंहार की बात करने वालों पर कोई एक्शन नहीं होता