लोकसभा में सरकार ने गरीबी (Poverty) को लेकर आंकड़े बताए हैं जो हैरान करने वाले हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) ने गरीबी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए बताया कि देश की 22 फीसदी आबादी आज भी गरीबी रेखा (Poverty line) के नीचे गुजर-बसर कर रही है. जबकि देश की आजादी के वक्त करीब 80 फीसदी आबादी गरीब थी. लेकिन अगर प्रतिशत के इन आंकड़ों को निकाल दें तो पता चलता है कि जिस वक्त देश आजाद हुआ उस वक्त 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे थे और आज ये आंकड़ा 26.9 करोड़ लोगों का है.
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देश का सबसे गरीब राज्य
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश का सबसे गरीब राज्य यूपी-बिहार नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ है, जहां 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही है. यानि 10 में से हर चौथा नागरिक गरीब है. वहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश ऐसे राज्य हैं. जहां 30 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही है.
गरीबी तब भी थी, गरीबी आज भी है
1956-57 में 21.5 करोड़ ( 80 प्रतिशत) आबादी गरीबी थी
1973-74 में 55 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे आई
1983 में गरीबी रेखा का आंकड़ा घटकर 45 प्रतिशत पर आया
1999-2000 में 26 प्रतिशत आबादी गरीब थी
2011-12 से 21.9 प्रतिशत आबादी गरीबी में रह रही है
गौर करने वाली बात यह है कि गरीबी रेखा का यह आंकड़ा आखिरी बार 2011-12 में ही जारी किया गया था. यानि उसके बाद सरकार की तरफ से गरीबी का आंकड़ा जारी नहीं किया गया है.
क्या है गरीबी की परिभाषा ?
सरकार ने देश में गरीबी की परिभाषा बताई है, जिसके मुताबिक गांव में रहने वाला कोई नागरिक अगर 816 रुपये और शहर में रहने वाला नागरिक 1000 रुपये प्रति महीने खर्च कर रहा है. तो वह गरीब नहीं कहलाएगा. यानि इससे कम रुपये खर्च करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आएगी. लोकसभा में सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि देश में 21.9 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे है यानि हर 100 में से करीब 22 लोग गरीब हैं.