Forest Fire in India: 90 घंटे की आग और सरिस्का में 700 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल का इलाका बर्बाद... ये तो बात हुई एक जंगल की... इस घटना के बाद मध्य प्रदेश में सीधी जिले का संजय टाइगर रिजर्व ( Sanjay Tiger Reserve in Sidhi District ), उत्तराखंड में नैनीताल और पिथौरागढ़ के जंगल, छत्तीसगढ़ में जशपुर के जंगल और शिमला में तारा देवी के जंगलों में आग की घटनाएं हुई. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ( Forest Survey of India ) के मुताबिक 28 मार्च से 30 मार्च के बीच ही देश के जंगलों में आग की 16 हजार 840 घटनाएं दर्ज की गई हैं. इनमें 211 बड़ी घटनाएं थीं. CEEW the council की स्टडी में जंगल की आग को लेकर कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं...
भारत में जंगल की आग ( Forest fire in India ) ऐसी है, जैसे जंगल में नाचने वाला मोर... इसे कोई नहीं देखता.. बेजुबान वहां भी मरते हैं... कई आवाजें वहां भी हमेशा के लिए मौन हो जाती हैं. और जंगलों में आग का किस्सा सिर्फ एक जंगल तक ही नहीं है... ये 'रक्तफूल' ऐसा है जिसकी कहानी अनंत है और इसका दर्द भी अनंत है...
भारत में जंगलों की आग लगातार भयानक होती जा रही है. इसे लेकर दो तरह के आंकड़े गिने जाते हैं. MODIS (Moderate Resolution Imaging Spectro-radiometer) के हिसाब से नवंबर 2020 से लेकर जून 2021 के बीच भारत के जंगलों में SNPP-VIIRS (Suomi-National Polar-orbiting Partnership - Visible Infrared Imaging Radiometer Suite) के हिसाब से आग की 3,45,989 घटनाएं सामने आईं.
भारत के जंगल दुनिया की तुलना में कहीं ज्यादा कार्बन डाय ऑक्साइड सोखते हैं. जंगलों पर देश की 22 फीसदी आबादी निर्भर है. सबसे खतरनाक फैक्ट ये है कि भारत के कुल जंगलों का 36 फीसदी एरिया फायर प्रोन जोन के अंदर आता है. (FSI 2019).
हम जंगल में नहीं रहते... शहर में बने मकानों में रहते हैं... पहली नजर में अगर हम जंगल की बात करें, तो किताब और कॉमिक्स की कहानियां जहन में उभर आती हैं... हरे भरे पेड़, झाड़ियों की चित्रकारी, हिरन की छलांग.. शेर की दहाड़... वह सबकुछ जिससे हमारा सिर्फ एक आभासी कनेक्शन दिखता है... न तो इस जंगल का और न ही इसकी आग का हमसे जुड़ाव है... हमारी दुनिया तो वह है ही नहीं... लेकिन टेढ़े मेढ़े रास्ते से ही सही, ये आग और इसका धुआं हमारा बहुत कुछ जला रहा है... आइए जानते हैं जंगल की धधकती आग वाले संसार को... जो दिखता तो दूर है लेकिन है हमारे बहुत ही पास....
भारत का कुल जंगली क्षेत्र 7,64,566 स्क्वेयर किलोमीटर है. हमें कागज, प्लाईवुड, चंदन, टिंबर, माचिस की लकड़ी, ईंधन की लकड़ी, साल के बीज, तेंदु के पत्ते, दवाएं, जड़ी-बूटियां जंगल ही देता है.. भारत के जंगल पेड़ों से आगे भी बहुत कुछ हैं... यह धरती पर कुछ दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों का घर भी हैं. भारत के वेस्टर्न गाट्स और पूर्व में हिमालयी क्षेत्र धरती के 32 बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट्स में शामिल हैं.
एक्सपर्ट के अनुसार मार्च में टेंपरेचर जब नॉर्मल से आगे की रफ्तार पकड़ता है तब आगजनी की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं. जंगल में पेड़ों के सूखे पत्ते और टहनियां ईंधन का काम करते हैं. एक छोटी सी चिंगारी हीट का काम करती है. ऐसे में अगर हवा तेज चल रही हो तो एक जगह लगी आग पूरे जंगल को तबाह करने के लिए काफी है. और ये आग हमारा एयर क्वाल्टी इंडेक्शन भी बिगाड़ती है और हमारी आपकी सेहत भी...
कई बार लोग लोग जंगल में शिकार करने या वहां से प्रोडक्ट निकालने के लिए आग लगाते हैं. जैसे कि मध्य प्रदेश के जंगल में महुआ निकालने के लिए लोग झाड़ियों में आग लगाते हैं. कई बार जंगल में जाने वाले लोग बीड़ी और सिगरेट पीकर बिना बुझाए फेंक देते हैं, इससे आग लग जाती है.
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आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में देश में 71 फीसदी कम बरसात हुई है. उत्तर पश्चिम भारत में 89 फीसदी और मध्य भारत में 87 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. ऐसे में जंगलों का पूरी तरह सूखा होना भी आग लगने की संभावना को बढ़ा देता है. जंगलों के आसपास के क्षेत्रों में अक्सर ही आग को सामान्य घटनाओं से जोड़ा जाता है. इसे लेकर गंभीरता का अभाव दिखाई देता है.
जंगल की आग के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे कमजोर देश है. Reddy et al. 2019
देश में बीते दो दशकों में जंगल की आग 10 गुना बढ़ गई है जबकि कुल जंगली क्षेत्र सिर्फ 1.12 फीसदी ही बढ़ा है.
जंगलों को इस खतरे से भारत को हर साल 1.74 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
भारत के 62% से ज्यादा राज्य ऐसे हैं जो high-intensity forest fire की कैटिगरी में है.
30% से ज्यादा भारतीय जिले हॉटस्पॉट हैं.
देश में 27 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं, जो जंगल की आग के हॉटस्पॉट हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, तेलंगाना और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र राज्य ( सिक्किम को छोड़कर ) इसमें शामिल हैं.
हो सकता है जंगल की आग वाली खबरों को आपने भी देखा हो.. लेकिन क्या आपने इस खबर पर ध्यान देकर ये सोचा कि कितने बेजुबान जानवर इस काल का शिकार बनते हैं. बेवजह...
जंगल की आग के मामले में एक्स्ट्रीम हॉटस्पॉट वाले जिलों में से 89 फीसदी सूखाग्रस्त हैं.
2020 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के कुल क्षेत्रफल का 31 फीसदी (4.06 billion hectares) जंगल है. इस आंकड़े में भारत का योगदान 2 फीसदी (72.16 million hectares) है. (FSI 2019)।
भारत में टीएफसी यानी टोटल फॉरेस्ट एरिया 0.17% बढ़ा है जबकि फॉरेस्ट फायर की फ्रीक्वेंसी 52% बढ़ गई...
2010–2019 के दौरान आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सबसे संवेदनशील जंगली क्षेत्र देखे गए.
विश्लेषण से पता चला है कि बीते दो दशकों में मिजोरम में सबसे ज्यादा जंगलों की आग की घटनाएं सामने आई हैं. राज्य के 95 फीसदी जिले फॉरेस्ट फायर के हॉटस्पॉट हैं.
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विश्लेषण बताता है कि आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और उत्तराखंड ऐसे राज्य हैं जो एक्सट्रीम फायर प्रोन स्टेट हैं. दो दशकों में इन राज्यों के आंकड़े सबसे भयानक रहे हैं और India State of Forest Report (ISFR) ने भी इस बात की पुष्टि की है.
ये तो बात हुई जंगल की आग की... लेकिन जंगल का कानून क्या कहता है...
भारतीय वन अधिनियम, 1927 में कहीं भी आग को लेकर किसी तरह का नियम नहीं है. यह जंगलों और वन्यजीवों के संरक्षण की बात करता है, मिट्टी के कटाव, वृक्षों की कटाई रोकने की बात तो करता है लेकिन आग पर इसमें कोई भी स्पष्ट प्रावधान नहीं है...
तो अब क्या किया जाए... समस्या है तो समाधान का रास्ता निकालना होगा...
फॉरेस्ट फायर की घटनाओं को NDMA एक्ट के तहत डिजाज्सटर घोषित किए जाने की जरूरत है. इस पहचान से फॉरेस्ट फायर से निपटने में बेहद मदद मिल सकेगी क्योंकि इससे फाइनेंशियल एलोकेशन होगा है, और एक खास कैडर तैयार किया जा सकेगा जिसमें ट्रेंड फॉरेस्ट फायरफाइटर्स होंगे. और ये सभी National Disaster Response Force (NDRF) और State Disaster Response Force (SDRF) के तहत काम करेंगे.
साथ ही, एक फॉरेस्ट फायर ओनली अलार्म सिस्टम विकसित किया जाए
हाई टेक्नोलॉजी और फोकस्ड इक्विपमेंट की ट्रेनिंग
स्कूल-कम्युनिटी हॉल में क्लीन एयरशेल्टर्स उपलब्ध करना
हमारे यहां पीढ़ियों से जंगल की कहानियां सुनाई जाती रही हैं. राजा-रानी और जंगल तीन ऐसे शब्द हैं जो दादी-नानी की कहानियों में हमेशा से रहे हैं. जंगल अपने आप में एक दुनिया है. हमें अगर कहानियों को, छलांग मारते जानवरों को, नदियों को, और जंगल की इस दुनिया को जिंदा रखना है, तो जंगलों में बढ़ती आग को भी रोकना होगा.