3 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) में लगातार श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. सिर्फ एक महीने में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. 25 मई तक अकेले केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में साढ़े 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, लेकिन इस यात्रा में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले घोड़े-खच्चरों (Horse-Mule) की जान पर बन आई है. पिछले 16 दिनों में 60 घोड़े और खच्चरों की जान गई हैं. जिनमें 55 की मौत पेट में तेज दर्द उठने से हुई. वहीं 4 की गिरने से और एक की पत्थर की चपेट में आने से मौत हुई है.
आजतक की खबर के मुताबिक यात्रा मार्ग (Travel Route) पर मर रहे घोड़े और खच्चरों को मंदाकिनी नदी (Mandakini River) में फेंका जा रहा है. इससे महामारी फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है. जबकि मृतक जानवरों को जमीन में नमक डालकर दफनाया जाना चाहिए या फिर उनका दाह संस्कार होना चाहिए.
बता दें, केदारनाथ तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18-20 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है. जिसमें सबसे अहम भूमिका घोड़े और खच्चर निभाते हैं. जानकारी के मुताबिक संचालक और हॉकर रुपये कमाने के लालच में इन खच्चरों और घोड़ों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ (Gaurikund to Kedarnath) तक के 2 से 3 चक्कर लगवा देते हैं.
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