सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को लखीमपुर खीरी कांड (Lakhimpur Violence) के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा ( Ashish Mishra) को मिली जमानत रद्द कर दी है. कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जमानत देने के फैसले को पलट दिया. अब आशीष मिश्रा को एक हफ्ते में सरेंडर करना होगा. बता दें कि आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ (Ajay Mishra) के बेटे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में पीड़ित पक्ष का ध्यान नहीं रखा. पीड़ित पक्ष की बात नहीं सुनी गई और हाई कोर्ट ने बेमतलब की दलीलों पर ध्यान दिया, जबकि उचित दलीलों को अनदेखा कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर फिर से विचार करना चाहिए.
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चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा कि हमारा मानना है कि इस मामले में पीड़ितों को सही से सुनवाई का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि हर सुनवाई में पीड़ित को यह आधिकार है कि उसके पक्ष को गंभीरता के साथ सुना जाए. हाई कोर्ट ने आशीष मिश्रा को बेल देते हुए अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण कर दिया था. किसी भी घटना में सिर्फ एफआईआर को ही सब कुछ नहीं माना जा सकता, पूरी न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखने की जरूरत है. बता दें कि शीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से 14 फरवरी को बेल दे दी गई थी.
क्या है मामला?
बता दें कि 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया इलाके में हुई हिंसा के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों में चार किसान शामिल थे. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर आरोप है कि उसने अपनी जीप से किसानों को कुचल दिया था. इस मामले में यूपी एसआईटी ने आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था. इसके बाद 9 अक्टूबर को गिरफ्तार होने के बाद, मिश्रा को 10 फरवरी, 2022 को जमानत दे दी गई थी. आशीष मिश्रा के वकील सलिल श्रीवास्तव ने कोर्ट ने उन्हें जमानत मिलने का आधार बताया था. उनका कहना था कि गाड़ी आशीष मिश्रा नहीं, बल्कि हरिओम मिश्रा चला रहा था और उन्होंने डिफेंस में गाड़ी चढ़ाई थी. ड्राइवर के अपराध के लिए आशीष मिश्रा को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है? उन्होंने ये भी बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि लखीमपुर हिंसा में किसी भी किसान की मौत गोली लगने से नहीं हूं.