Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में 17 रुपये में मौत का टिकट बेचा जा रहा था और सरकार (Gujarat Government) खामोशी से अंजान बनी बैठी हुई थी. करीब करीब 150 लोगों की मौत पुल की गिर जाने से हो चुकी है. अब भी मच्छु नदी में लापता लोगों की तलाश जारी है. क्योंकि कहा जा रहा है कि पुल पर करीब 500 लोग मौजूद थे. हांलाकि केबल-जाली थामे रहे 200 लोगों को बचा लिया गया है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ये हादसा किसकी लापरवाही से हुआ? कौन है इसका गुनहगार? क्या गुजरात की बीजेपी सरकार को इसबात का अंदाजा नहीं था कि इतने पुराने पुल का हाल क्या है? अब आपको कुछ सवालों से रूबरू करवाते हैं.
- 140 साल से ज्यादा पुराना है मोरबी का यह पुल
- ऋषिकेश के राम और लक्ष्मण झूला तर्ज पर बना
- 7 महीने से बंद था पुल, गुजराती नव वर्ष पर खुला
- 2 करोड़ रुपए की लागत से 6 महीने तक रेनोवेशन
अब सवाल यह है कि अगर रिनोवेशन यानी मरम्मत के बाद इस पुल को खोला गया, तो इस ब्रिज में ऐसा क्या काम हुआ था जिससे गिर गया? क्या प्रशासन ने पुल चालू करने से पहले जांच नहीं किया था.
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- फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना ओरेवा कंपनी ने ब्रिज खोला
- क्या प्रशासन को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी?
- प्रशासन को पता चलने पर कंपनी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- क्या चुनावी फायदा लेने के लिए बिना टेस्टिंग शुरू किया?
- ब्रिज पर भीड़ अधिक होने के चलते ये हादसा हुआ
- 100 लोगों की क्षमता वाले पुल पर 300-400 लोग कैसे पहुंचे?
- बड़े लोगों के लिए 17 रु और बच्चों के लिए 12 रु का टिकट
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- अजंता ओरेवा ग्रुप को पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी
- घड़ी, कैलकुलेटर और LED बल्ब बनाने वाली कंपनी
- कंपनी की देखभाल के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं
- पिकनिक स्पॉट के तौर पर मशहूर था यह ब्रिज
- दिवाली बाद के वीकेंड में लोग घूमने निकले
- जितने लोगों ने टिकट खरीदा सभी पुल पर चले गए
- लोगों को रोका नहीं गया, क्या गार्ड को जानकारी थी?
अब यह सवाल ऐसे हैं जिससे गुजरात की भाजपा सरकार घिरी हुई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अफरातफरी में बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल कैसे खोला गया. यह राज्य सरकार की घोर लापरवाही की ओर इशारा करता है. डबल इंजन की सरकार का दम्भ भरने वाली बीजेपी इस चुनाव में पुल पर ही कहीं फंस न जाए.