ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) की टीस अब भी बाकी है. हादसे में मारे गए लोगों के शवों की पहचान और उसे उनके परिजनों तक पहुंचाना खुद में बड़ी चुनौती साबित हो रही है. कुछ शवों की हालत ऐसी है कि उसे पहचानना काफी मुश्किल है. ट्रेन हादसे का शिकार हुए राजा के शव के साथ ही कुछ ऐसा ही हुआ है.
बिहार के मोतिहारी के रहने वाले राजा का शव पश्चिम बंगाल पहुंच गया. वहां लोगों को उनका आधार कार्ड मिल गया जिससे पूरा मामला समझ में आया. इसके बाद शव को मोतिहारी भेजा गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मोतिहारी से राजा समेत 10 लोग चेन्नई जाने के लिए कोरोमंडल एक्सप्रेस से रवाना हुए. हादसे में 10 में से 8 लोगों की जिंदगी बच गई. इस दौरान एक व्यक्ति की मौत मौके पर ही हो गई जबकि राजा का कहीं अता-पता नहीं चल सका.
घटना की खबर मिलते ही राजा का परिवार घटनास्थल के लिए रवाना हो गया. उसके भाई सुभाष और मां अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे लेकिन राजा का कोई अता-पता नहीं चला. जैसे-जैसे समय बीत रहा था परिवार की उम्मीद खत्म हो रही थी और 40 हजार साथ लेकर गए परिवार के सारे पैसे भी खर्च हो चुके थे. ऐसे में ये लोग घर वापस लौट आए.
इनलोगों ने बिहार सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया और जानकारी मांगी. राजा के भाई सुभाष ने हार नहीं मानी और एक बार फिर ओडिशा पहुंच गया. उसने भुवनेश्वर एम्स के डिसप्ले में दिख रहे शवों को ध्यान से देखा इस दौरान उसे बाएं हाथ पर टैटू बने अपने भाई का शव दिखा. उसने एम्स प्रशासन से बात की तब उसे पता चला कि शव पहले ही पश्चिम बंगाल के एक परिवार को दिया जा चुका है. एम्स प्रशासन ने उसे डीएनए टेस्ट कराने की सलाह दी. इसबीच बंगाल पहुंचे शव की जेब में आधार कार्ड मिला जिससे ये तय हो गया कि ये राजा का शव है और उसे कानूनी प्रक्रिया के बाद भाई सुभाष को सौंप दिया गया.