गुजरात के पंचमहल जिले में ऐतिहासिक महाकाली मंदिर ( Kali Mandir in Panch Mahal District ) के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पारंपरिक पताका फहराई. मंदिर के ऊपर करीब 500 साल पहले बनी दरगाह को हिंदू और मुस्लिम समुदाय ने आपसी बातचीत के पास पास में एक दूसरी जगह पर शिफ्ट कर दिया था. इसके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया.
मोदी ने इस अवसर कहा, ‘‘महाकाली मंदिर पर फहराई गई पताका न केवल आध्यात्मिकता की प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि सदियां बीत जाने के बावजूद हमारी आस्था मजबूत है.’ उन्होंने कहा कि भारत की आस्था और आध्यात्मिक गौरव के केंद्र अब फिर से स्थापित हो रहे हैं.
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मंदिर के शिखर को करीब 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ( Sultan Mahmud Begada ) ने नष्ट कर दिया था. बेगड़ा ने माता काली के इस प्राचीन मंदिर के शिखर को ध्वस्त कर दिया था. पावागढ़ पहाड़ी ( Pavagadh Hills ) पर 11वीं सदी में बने इस मंदिर के शिखर को पुनर्विकास योजना के तहत फिर से स्थापित कर दिया गया है. मोदी ने इस अवसर पर कहा, ‘महाकाली मंदिर ( Mahakali Mandir Pavagadh ) के ऊपर 5 सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी.’’
मंदिर के एक पदाधिकारी ने बताया- मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं सदी में चम्पानेर पर किए गए हमले के दौरान ध्वस्त कर दिया था. उन्होंने बताया कि शिखर को ध्वस्त करने के कुछ समय बाद ही मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह ( Pir Sadanshah Dargah ) बना दी गई थी.
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पदाधिकारी ने कहा, ‘‘पताका फहराने के लिए खंभे या शिखर की जरूरत होती है. क्योंकि, मंदिर पर शिखर नहीं था, इसिलए इन सालों में पताका भी नहीं फहराई गई. जब कुछ साल पहले पुनर्विकास कार्य शुरू हुआ तो हमने दरगाह की देखरेख करने वालों से अनुरोध किया कि वे दरगाह को कहीं और शिफ्ट कर दें, ताकि मंदिर के शिखर का पुन: निर्माण हो सके.’ इसके बाद आपसी भाईचारे से दरगाह को मंदिर के पास दूसरी जगह शिफ्ट करने का समझौता हुआ.
125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया गया है. इसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है. नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और 30,000 वर्ग फुट दायरे में फैला है.