पत्नी से संबंध बनाने के लिए उम्रकैद (life prison) की सजा काट रहे कैदी को पैरोल (parole) क्या मिली, राजस्थान सरकार परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme COURT) पहुंच गई. मामला सामने आते ही सुर्खियों में बना हुआ है. दरअसल राजस्थान की अजमेर जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी नंदलाल की पत्नी ने प्रेगनेंट (pregnant) होने के लिए पति की पैरोल मांगी थी. जिसकी सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के जज फरजंद अली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कैदी को यह कहते हुए 15 दिन की पैरोल दे दी कि मां बनना महिला का प्राकृतिक अधिकार है.
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राजस्थान सरकार ने क्यों किया पैरोल का विरोध ?
हाईकोर्ट के आदेश का राजस्थान सरकार ने विरोध किया है. सरकार का कहना है कि राज्य के पैरोल से जुड़े नियमों यानि 'राजस्थान प्रिजनर्स रिलीज ऑन पैरोल रूल्स' में पत्नी से संबंध बनाने के लिए कैदी की पैरोल का साफ तौर पर कोई प्रावधान नहीं है, इसीलिए कैदी को पैरोल देना सही नहीं है. वहीं सरकार की एक समस्या और है और वह यह कि राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ऐसे कैदियों की संख्या तेजी से बढ़ गई है, जो पत्नी को प्रेगनेंट करने के लिए पैरोल मांग रहे हैं.
अब सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
बता दें कि भीलवाड़ा की सेशंस कोर्ट ने 2019 में एक मामले में नंदलाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और तभी से वह जेल में बंद है. वहीं हाईकोर्ट के फैसले को राजस्थान सरकार की तरफ से चुनौती मिलने के बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एन वी रमना की बेंच के सामने पहुंचा है जिस पर चीफ जस्टिस ने अगले हफ्ते सुनवाई पर सहमति जता दी है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर विचार करेगा कि क्या किसी कैदी को संतान पैदा करने के लिए पैरोल दी जा सकती है.
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