Supertech Twin Towers Demolition: नोएडा का सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Towers Demolition) अब एक क्लोज्ड चैप्टर है. बिल्डर और बायर्स की लड़ाई में जीत बायर्स की हुई. भ्रष्टाचार की कड़ियों ने प्रशासन का काला चिट्ठा सामने खोलकर रख दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इंसाफ पर मुहर लगाई. एक गंगनचुंबी इमारत को गिराए जाने की खबर देशभर में छा गई. नोएडा के ट्विन टावर को बनाने में क्या गलतियां हुईं? कैसे भ्रष्ट सिस्टम ने शहर के बीचों बीच इसे खड़ा होने दिए... और बनने के बाद इसे क्यों गिराया गया? ऐसे ही सवालों के जवाब हम जानेंगे इस वीडियो में...
ये भी देखें- Supertech twin towers: दुनिया की बड़ी इमारतें जिन्हें सेकंडों में गिराया गया, जानें इतिहास
इन टावरों को गिराने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इसे बनाने में बिल्डिंग कोड के मानकों का उल्लंघन किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा था कि इसे बनाने को लेकर नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) और सुपरटेक में "जघन्य सांठगांठ" थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को निर्देश दिया कि वह अपने खर्च से इमारत को धराशायी करे और ये पूरा काम नोएडा अथॉरिटी के देखरेख में होगा.
2004 में नोएडा के सेक्टर 93 ए में 'Supertech Emerald Court' हाउसिंग सोसाइटी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया. अगले ही साल, नोएडा अथॉरिटी ने इस बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दे दी. बिल्डिंग प्लान में 14 टावर और 9 फ्लोर दिखाए गए थे.
23 नवंबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 14 टावर का नक्शा आवंटित किया. इसमें सभी टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 फ्लोर तक ही पास किए गए थे. साल 2006 में 29 दिसंबर के दिन नोएडा अथॉरिटी ने नाटकीय ढंग से ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रोजेक्ट में पहला बदलाव किया और इसे 2 मंजिल तक बढ़ाने का नक्शा पास किया.
अब 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने का नक्शा पास हो गया. इसके बाद टावर 15 का भी नक्शा पास किया गया. इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 16 टावर का नक्शा पास किया जिसके तहत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर हो गई.
बिल्डिंग में लगातार बदलाव होते रहे और अथॉरिटी इन्हें मंजूर करती चली गई. साल 2009 में 26 नवंबर को नोएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर 17 के नक्शे को भी मंजूरी दे दी. टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल बनाने का नक्शा बनाया गया और इसकी ऊंचाई अब 73 मीटर तय की गई. टावर के नक्शे में फिर तीसरा संशोधन भी किया गया. यह संशोधन 2 मार्च 2012 को हुआ. अब टावर नंबर 16 और 17 के लिए Floor Area Ratio और बढ़ा दिया गया. इसके तहत दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल तक करने की इजाजत दे दी गई और ऊंचाई 121 मीटर तय की गई.
RWA अध्यक्ष उदय भान सिंह ने ABP न्यूज को बताया कि National Building Code के नियम के तहत किसी भी दो रेजिडेंशियल टावर के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी जरूरी है. इस प्रोजेक्ट में टावर नंबर 1 और ट्विन टावर में 9 मीटर से भी कम की दूरी है.
टावर नंबर 16 और 17 जहां बनाए गए हैं, वहां पर बिल्डर ने फ्लैट देते वक्त ओपन स्पेस दिखाया था लेकिन बाद में उसने यहीं पर निर्माण करना शुरू कर दिया.
इसके बाद, बगल में बनी सोसायटी के ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने निर्माण को अवैध बताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की. इसके बाद 2014 में, कोर्ट ने अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वह 4 हफ्ते के अंदर खुद के खर्च पर इमारत को ध्वस्त करे. कोर्ट ने साथ ही फैसला दिया कि बिल्डर फ्लैट खरीदारों के भुगतान को 14% की ब्याज दर के साथ पेमेंट भी रिफंड करे.
31 अगस्त 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए बिल्डिंग को गिराने के फैसले पर अपनी मुहर लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने भी यह पाया कि इमारत बनाने में मानकों का उल्लंघन हुआ है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद इमारत में फ्लैट खरीदारों ने फैसले के विरोध और पक्ष को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बाद में कहा कि 28 अगस्त को इमारत को जमींदोज करने की तारीख तय की जा सकती है. कोर्ट ने किसी भी तरह की तकनीकी समस्या या मौसम में होने वाले संभावित बदलावों के मद्देनजर 29 अगस्त से 4 सितंबर के बीच की तारीख तय की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 के दिन ट्विन ट्वार को गिराने का फैसला सुनाया था और इसके लिए 3 महीने की समयसीमा भी तय कर दी थी. तब ऐसा हो न सका. इसके बाद तारीख को बढ़ाया गया और नई समयसीमा 22 मई 2022 कर दी गई. टावर गिराने वाली कंपनी को SC ने 3 महीने का समय और दिया. इसके बाद नई समयसीमा 21 अगस्त 2022 हो गई लेकिन तब टावर गिरा रही कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को NoC नहीं मिली. इसके बाद इस समयसीमा को और बढ़ा दिया गया.
साल 2021 में एक हाई लेवल SIT बनाई गई. इसकी रिपोर्ट के आधार पर नोएडा अथॉरिटी के 24 अधिकारी और कर्मचारियों पर एफआईआर की गई.
2 हफ्तों से, ट्विन टावर में बारूद लगाने का काम किया गया. Supertech’s Emerald Court प्रोजेक्ट का हिस्सा ये 40 मंजिला इमारतें नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर बनाई गई थी. 7.5 लाख स्क्वेयर फीट के एरिया में बनी इन इमारतों में 900 फ्लैट बनाए गए थे.