एकनाथ शिंदे (Eknath shinde) की अनुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने मुस्लिम समुदाय (Muslim community) के हित को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. शिंदे कैबिनेट (Shinde Cabinet) ने मुस्लिम समुदाय के लोगों की आर्थिक और शैक्षणिक विकास (economic and educational development) की स्थिति जानने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (Tata Institute of Social Science, TISS) को डिटेल स्टडी करने का जिम्मा दिया है. साथ ही सरकार ने इसके लिए बकायदा 33 लाख रुपये (33 lakh rupees) के बजट का भी प्रावधान किया है.
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बता दें कि साल 2008 में रिटायर्ड IAS अधिकारी महमूद उर रहमान (Mehmoodur Rehman) की अध्यक्षता वाली एक कमिटी का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की स्थिति को जानना था. कमेटी ने साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रथ्वीराज चौहान (CM Prithviraj Chouhan) को अपनी रिपोर्ट पेश की थी.
उस रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रदेश में करीब 60 फीसदी मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे हैं. सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी महज 4.4 फीसदी थी और स्नातकों की कुल संख्या महज 2.2 फीसदी थी. साफ है कि प्रदेश की मुस्लिम आबादी के लिए शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत है. विपक्ष ने इस पहल का स्वागत किया है.
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