भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी (tamilnadu minister senthil balaji) को राज्यपाल आरएन रवि (governor rn ravi) ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है. उन्हें बुधवार को मना लांड्रिंग और नौकरी दिलाने के बदले कैश लेने के आरोप में ईडी ने बीते 14 जून को गिरफ्तार किया था. सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें चेन्नई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहीं सेंथिल बालाजी को राज्यपाल द्वारा बर्खास्त किए जाने पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि इसका अधिकार राज्यपाल के पास नहीं है. हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
बाद में 15 जून को मद्रास उच्च न्यायालय ने सेंथिल बालाजी को निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया. इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई लेकिन उसने उच्च न्यायालय के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया था. चेन्नई सत्र न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एस अल्ली ने मंत्री सेंथिल बालाजी की न्यायिक हिरासत 12 जुलाई तक बढ़ाने का आदेश दिया था. सत्र न्यायालय में उनकी पेशी कावेरी अस्पताल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी.
इससे पहले सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. याचिका पर मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट (madras high court) में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है.
बालाजी की पत्नी मेगाला ने उच्च न्यायालय में हलफनामा देकर आरोप लगाया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई (bjp state president annamalai) ने उनके पति के खिलाफ साजिश रची है. याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का विरोध किया था और कहा था कि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत गिरफ्तारी के आधार को लिखित में कम किया जाए.
तुषार मेहता ने कहा था कि पीएमएलए कानून के तहत धारा 19 में अथॉरिटी के पास अधिकार है कि वह व्यक्ति को शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती है. तुषार मेहता ने अदालत में कहा था कि गिरफ्तारी की वजह के बारे में जल्द सूचित कर दिया जाएगा.