जल ही जीवन है. पानी के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. किसी व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए पानी कितना जरूरी है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारे शरीर का करीब 60 फीसदी हिस्सा पानी ही है. बावजूद इसके देश के लोगों को साफ पानी मयस्सर नहीं है. केंद्र सरकार (Union Government) ने अंडर ग्राउंड वाटर (Underground Water) को लेकर राज्यसभा (Rajya Sabha) में जो आंकड़े पेश किए हैं. वो बेहद चौंकाने और डराने वाले हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के अधिकांश राज्यों के ज्यादातर जिलों में ग्राउंड वाटर में जहरीली धातुओं (Toxic Metals) की मात्रा तय मानक से ज्यादा पाई गई है. देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी को पीने का पानी ग्राउंड वाटर से मिलता है. लेकिन इस ग्राउंड वाटर में तय मानक से ज्यादा जहरीली धातुओं के होने से यह पानी लोगों के लिए 'जहर' सरीखा हो गया है. खासकर ग्रामीण इलाकों (Rural Areas) में जहां देश की आधी से ज्यादा आबादी रहती है. चूंकि गावों में आज भी पानी का मुख्य स्रोत ग्राउंड वाटर है.
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लिहाजा शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में समस्या और भी गंभीर है. यहां लोग पीने के पानी के लिए हैंडपंप, कुआं या नदी-तालाब (Hand Pump, Well, River-Pond) पर निर्भर रहते हैं. ग्रामीण इलाकों में पानी को साफ करने का कोई व्यवस्था नहीं होती है. ऐसे में लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. हालांकि केंद्र सरकार की हर घर नल-जल योजना (Har Ghar Nal-Jal Yojana) के जरिए साफ पानी पहुंचाने की कोशिशें की जा रही है. लेकिन इस योजना को लेकर कुछ राज्यों की सुस्ती परेशान करने वाली है.
केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश के 25 राज्यों के 209 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक (Arsenic) की मात्रा 0.01 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है. 21 राज्यों के 176 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में सीसा (Lead) तय मानक 0.01 मिलिग्राम प्रति लीटर से अधिक है. वहीं 29 राज्यों के 491 जिलों के कुछ इलाकों के भूजल में आयरन (Iron) की मात्रा 1 मिलिग्राम प्रति लीटर से अधिक है. 18 राज्यों के 152 जिले के इलाकों में भूजल में यूरेनियम (Uranium) 0.03 मिलिग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया.
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16 राज्यों के 62 जिलों के कुछ इलाकों में भूजल में क्रोमियम (Chromium) की मात्रा 0.05 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा मिली है. वहीं 11 राज्यों के 29 जिलों के कुछ हिस्सों के भूजल में कैडमियम (Cadmium) की मात्रा 0.003 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा पाई गई है. सरकार ने राज्यसभा में उन रिहायशी इलाकों की संख्या भी बताए हैं. जहां पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित हो चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 9930 इलाके खारापन, 14079 इलाके आयरन, 814 इलाके आर्सेनिक, 671 इलाके फ्लोराइड, 517 इलाके नाइट्रेट और 111 इलाके भारी धातु से प्रभावित हैं.
नीति आयोग (NITI Aayog) के मुताबिक देश में ग्राउंड और सरफेस वाटर (Surface Water) दोनों ही अत्यधिक प्रदूषित हैं. वॉटर क्वॉलिटी इंडेक्स (Water Quality Index) के मामले में भारत 122 देशों में 120वें नंबर पर आता है. देश का 70 फीसदी जल दूषित हैं. इसमें बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया (Bacteria) के साथ भारी धातुएं मिली हुई हैं. ग्राउंड वाटर में आयरन, सीसा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम और यूरेनियम की मात्रा तय मानक से ज्यादा होने का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य (Health) पर पड़ता है.
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बोरॉन (Boron) तंत्रिका तंत्र (Nervous system) को प्रभावित करता है, फ्लोराइड (Fluoride) से दांतों, जोड़ों में समस्या और हड्डियों में विकृति, कैडमियम की ज्यादा मात्रा से ट्यूमर (Tumer) होने और किडनी (Kidney) से जुड़ी बीमारियां, यूरेनियम की ज्यादा मात्रा से किडनी से जुड़ी बीमारियां और कैंसर (Cancer), ज्यादा आर्सेनिक होने से त्वचा (Skin) से जुड़ी बीमारियां और कैंसर, सीसा की ज्यादा मात्रा से नर्वस सिस्टम, ज्यादा आयरन से अल्जाइमर और पार्किंसन (Alzheimer and Parkinson) के साथ-साथ नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दूषित पानी से हर साल करीब 3.70 करोड़ लोग बीमार पड़ते हैं. करीब 1 करोड़ लोग पीने के पानी में आर्सेनिक की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं करीब 6.6 करोड़ लोग पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से पीड़ित हैं. सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में हर साल करीब 3 लाख बच्चों की दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से मौत हो जाती है. जिनमें अकेले डायरिया (Diarrhea) से 50 फीसदी से मौतें हो जाती हैं.
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हालांकि मोदी सरकार (Modi Government) ने आम आदमी को साफ पानी (Clean Water) मुहैया कराने के लिए 15 अगस्त 2019 को हर घर 'नल-जल' योजना का ऐलान किया था. इस योजना के तहत 2024 तक हर घर तक साफ पीने का पानी मुहैया कराने लक्ष्य रखा गया है. जल जीवन मिशन 3.60 लाख करोड़ रुपये की योजना है. बजट 2022 में 'नल से जल योजना' के लिए 60 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इस योजना की शुरुआत के वक्त महज 17 फीसदी आबादी यानि 3.23 करोड़ घरों तक ही ही नल जरिए जल पहुंच रहा था.
जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) के आंकड़ों की मानें तो 19 जुलाई तक करीब 51.43 फीसदी घरों में नल का पानी पहुंच पाया है. साथ ही ग्रामीण इलाकों के करीब 9.6 करोड़ घरों तक नल-जल पहुंच गया है. इस योजना के तहत जिन 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) ने लक्ष्य को हासिल किया है, उनमें गोवा (Goa), तेलंगाना (Telangana), अंडमान निकोबार (Andaman and Nicobar), पुडुचेरी (Puducherry), दादरा नगर हवेली (Dadra Nagar Haveli), दमन और दीव (Daman and Diu) और हरियाणा (Haryana) प्रमुख हैं. वहीं पंजाब (Punjab) 99 %, गुजरात (Gujrat) 95.56%, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) 92.35% और बिहार (Bihar) 92.72% के साथ 100 फीसदी 'हर घर जल' राज्य बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
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वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां 25 फीसदी आबादी तक नल-जल की सुविधा नही है. झारखंड (Jharkhand) 20%, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) 23.24% और राजस्थान (Rajasthan) 24.56% की स्थिति संतोषजनक नहीं है. सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश प्रदेश (Uttar Pradesh) की है, जहां सिर्फ 13.74 % घरों तक ही जल-नल पहुंचा है. हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य को फंड की कोई कमी नहीं होने दी. जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने 2019-20 में यूपी को 1,206 करोड़, 2020-21 में 2,571 करोड़ और 2021-22 के लिए 108.7 अरब रुपये आवंटित किए. दक्षिण राज्यों में भी स्थिति कमोबेश खराब ही है. साफ है, देश के अलग-अलग हिस्सों में भूजल की जो स्थिति है. उसे कहीं से भी स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं कहा जा सकता है.