आपने बृज में खेले जानी वाली रंगों की होली, लठ्ठमार होली, कपड़ा फाड़ होली, कीचड़ फेंक होली के बार में सुना होगा. . लेकिन क्या आपको पता है कि यहां एक जगह ऐसी भी है, जहां होलिका दहन के दिन धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा हैं. जिसको देखने के लिए दूर-दूर से हजारों लोगों का हूजुम इकठ्ठा होता है.
मथुरा (Mathura) की कोसीकला इलाके के फ़ालेन गांव (Phalen Village) में धधकते अंगारों पर चलने की परंपरा (India Tradition) कई दशकों से चली आ रही है. 40 दिन के कठोर तप के बाद मोनू पंडा, प्रहलाद कुंड में स्नान करके शुभ मुहूर्त में धधकते अंगारों के बीच होकर निकलता है.
इस बार भी जैसे ही शुभ मुहूर्त आया, मोनू पंडा (Monu Panda) हरिनाम गुनगुनाते हुए धधकते अंगारों के बीच से निकल गया. जिसने भी यह नजारा देखा हैरत में पड़ गया. हर साल इतनी विशाल और धधकते अंगारों के बीच होकर मोनू पंडा निकलता है, लेकिन खास बात यह है कि उसको खरोंच तक नहीं आती.
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