What is Caste Census : क्या होती है जातिगत जनगणना, जानिए पूरी ABCD

Updated : Jan 20, 2023 20:30
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Editorji News Desk

What is Caste Census : बिहार में राज्य सरकार ने जातीय आधार पर जनगणना (Caste Census in Bihar) का फैसला लिया है. जातीय जनगणना से 14 करोड़ की आबादी वाले बिहार में जनता की जाति, उपजाति, धर्म और संप्रदाय के साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति का भी पता लगाया जा सकेगा.

आइए समझते हैं कि जातीय जनगणना क्या होती (What is Caste Census) है? इसकी महत्व (Importance of Caste Census) और इससे होने वाले नुकसान क्या क्या हैं, ये भी जानने की कोशिश करते हैं

जातीय जनगणना क्या है? || What is caste census?

सीधा सीधा कहें तो जाति के आधार पर आबादी की गिनती को जातीय जनगणना कहते हैं
किस तबके की कितनी हिस्सेदारी, कौन वंचित रहा... जातीय जनगणना से हर बात का पता चलता है 
जातियों की उपजाति का भी पता चलता है. उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चल पाता है.

जातीय जनगणना क्यों नहीं हो पाती? || Why caste census is not done?

विपक्ष में रहने पर दल इसका समर्थन करते हैं लेकिन सरकार में आने पर आनाकानी करते हैं... सत्ताधारी दल को लगता है कि जातीय आधार पर जनगणना से समाज में जातीय गुटबाजी बढ़ जाएगी और समाज भी बंट जाएगा... जातीय विभाजन का सीधा फायदा क्षेत्रीय दलों को मिलेगा.

जातीय जनगणना का महत्व || Importance of caste census

समर्थन करने वाले कहते हैं कि जातीय पिछड़ेपन का पता चल सकेगा. आंकड़ा पता चलने से पिछड़ी जातियों को आरक्षण का फायदा देकर उन्हें मजबूत बनाया जा सकता है. जातीय जनगणना से किसी भी जाति की आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा की स्थिति का पता चल पाएगा. इससे योजनाएं बनाने में आसानी होगी.

जातीय जनगणना के नुकसान || Disadvantages of Caste Census

ब्रिटिश सरकार और आजाद भारत की सरकारें भी इस मांग को टालती रही हैं. माना जाता है कि जिस समाज की आबादी घट रही होगी, उस समाज के लोग परिवार नियोजन से दूरी अपना सकते हैं. सामाजिक ताना बाना बिगड़ने का खतरा भी है. साल 1951 में तब के गृह मंत्री सरदार पटेल ने भी इसके प्रस्ताव को खारिज किया था.

जातिगत जनगणना से क्यों डरती है केंद्र सरकार? || Why is the central government afraid of caste census?

अगर किसी भी जाति की संख्या बढ़ती है तो वह सरकार में अपनी बढ़ी हुई हिस्सेदारी मांगेगा. हर जनगणना में आदिवासी और दलितों की गिनती होती है लेकिन अगर जातिगत जनगणना हुई तो ओबीसी और जनरल वर्ग भी गिने जाएंगे और अगर इनकी आबादी बढ़ी तो SC/ST या OBC आरक्षण पर नई रार मच सकती है.

क्षेत्रीय पार्टियां क्या कहती हैं? || What do regional parties say?

एसपी, आरजेडी, एनसीपी सहित तमाम क्षेत्रीय दल इसके समर्थन में हैं. वह कहते हैं कि सरकार ओबीसी की संख्या बताए और फिर 50 फीसदी आरक्षण सीमा को बढ़ाए. इन दलों का वोट बैंक ओबीसी ही है.

1931 में हुई थी जातिगत जनगणना || Caste census was done in 1931

भारत में आखिरी बार जातीय जनगणना ब्रिटिश शासन के दौरान 1931 में हुई थी. यही जनगणना 1941 में भी हुई लेकिन आंकड़े जारी नहीं किए गए. अगली जनगणना 1951 में तब हुई, जब देश आजाद हो चुका था. तब सिर्फ अनुसूचित जातियों और जनजातियों को ही गिना गया. तबसे जनगणना का 1951 वाला पैमाना ही चल रहा है.

ये भी देखें- Om Prakash Rajbhar: राजभर की CM नीतीश को धमकी, बोले- जातीय जनगणना नहीं कराई तो खाल उधेड़ लूंगा

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