Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट ने विधवा महिलाओं के मंदिर में प्रवेश (entry of widows into the temple) न दिए जाने वाली प्रथाओं पर कड़ी आपत्ति जताई है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि 'एक सभ्य समाज में इस तरह की परंपराएं नहीं रह सकती. हाईकोर्ट में एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की गई. दरअसल इरोड जिले में रहने वाली ये महिला मंदिर के एक उत्सव में शामिल होना चाहती थी. जिसे वहां के लोगों ने ये कहते हुए मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी कि वह एक विधवा है. इसी को लेकर महिला ने कोर्ट से मंदिर के उत्सव में शामिल होने के लिए सुरक्षा की मांग की थी.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महिला के पति इसी मंदिर में पुजारी का काम करते थे. लेकिन साल 2017 में उनकी मौत हो गई. जिसके बाद लोगों ने महिला के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी गयी. मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि एक महिला की अपनी पहचान होती है और वैवाहिक स्थिति के आधार पर उसे किसी तरह कम नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा, कानून के शासन वाले सभ्य समाज में ये कभी नहीं चल सकता. यदि किसी के द्वारा किसी विधवा को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने का ऐसा प्रयास किया जाता है, तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए.
इस मामले में कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को मंदिर में प्रवेश से रोकने वालों को साफ-साफ सूचित करें कि वे उसे और उसके बेटे को मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोकेंगे. अगर ऐसा हुआ तो पुलिस उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेगी. कोर्ट ने कहा, पुलिस ये सुनिश्चित करे कि महिला याचिकाकर्ता और उसका बेटा 9 और 10 अगस्त को मंदिर के उत्सव में हिस्सा लें.