Mahalaya 2023: महालया का भारतीय संस्कृति में काफी महत्व है. ये वो तिथि है जिस दिन बंगलाभाषी चंडी पाठ सुनते हैं और ये आवाज होती है मशहूर गायक वीरेन्द्र कृष्ण भद्र की. रेडियो से चंडी पाठ का प्रसारण भी किया जाता है. इस दिन बहुत से लोग सुबह-सवेरे पवित्र नदियों में स्नान कर अपने-अपने पितरों का तर्पण भी करते हैं. गरुड़ पुराण के मुताबिक ये पितरों की विदाई का अंतिम दिन है. इसलिए इस दिन को पितृविसर्जन अमावस्या, पितृ मोक्ष अमावस्या और पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. ये 15 दिन चलने वाले श्राद्ध अनुष्ठान का अंतिम दिन भी होता है.
महालया दुर्गा पूजा समारोह की शुरुआत और देवी दुर्गा के पृथ्वी पर प्रकट होने का प्रतीक है. हिन्दू धर्मशास्त्र के मुताबिक त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने मिलकर राक्षस महिषासुर के संहार के लिए देवी दुर्गा का सृजन किया था. दरअसल महिषासुर को कोई मानव, देवी या देवता नहीं मार सकते थे ऐसा उसे वरदान प्राप्त था. अपने अहंकार में चूर महिषासुर ने स्वर्ग लोक पर विजय प्राप्त कर ली जिससे भयभीत देवतागण भगवान विष्णु से रक्षा करने की प्रार्थना की थी.
महिषासुर के अत्याचार से त्रिदेव क्रोधित हो गये और उनकी शक्ति से एक ज्वाला उत्पन्न हुई और उससे देवी दुर्गा प्रकट हुईं. देवताओं ने उन्हें अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित किया. सर्वशक्तिमान देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन महिषासुर का वध मां दुर्गा ने किया.
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